Dictionaries | References अ अमरसिंह Meaning Key Pages Related A Sanskrit English Dictionary | sa en | | अ-मर—सिंह m. m. ‘god-lion’, N. of a renowned lexicographer (probably of the sixth century A.D.; he was a Buddhist, and is said to have adorned the court of विक्रमादित्य, being included among the nine gems). See also: अ - मर - सिंह Related Words SUGGEST A NEW WORD! अमरसिंह : Folder : Page : Word/Phrase : Person Keyword Pages | Show All अमरकोषः - प्रथमं कान्डम अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। मङ्गलाचरणम् - श्लोक १ ते ११ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। स्वर्गवर्गः - श्लोक ११ ते ४० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। स्वर्गवर्गः - श्लोक ४१ ते ८० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। स्वर्गवर्गः - श्लोक ८१ ते १२० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। स्वर्गवर्गः - श्लोक १२१ ते १६६ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। व्योमवर्गः - श्लोक १६७ ते १७२ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। दिग्वर्गः - श्लोक १७३ ते २१० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। दिग्वर्गः - श्लोक २११ ते २५० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। कालवर्गः - श्लोक २५१ ते २९० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। कालवर्गः - श्लोक २९१ ते ३१५ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। धीवर्गः - श्लोक ३१६ ते ३५१ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। शब्दवर्गः - श्लोक ३५२ ते ४०६ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। नाट्यवर्गः - श्लोक ४०७ ते ४४० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। नाट्यवर्गः - श्लोक ४४१ ते ४८५ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। पातालभोगिवर्गः - श्लोक ४८६ ते ५१० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। नरकवर्गः - श्लोक ५११ ते ५१७ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। वारिवर्गः - श्लोक ५१८ ते ५५० अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। वारिवर्गः - श्लोक ५५१ ते ६०४ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। काण्डसमाप्तिः - श्लोक ६०५ ते ६०८ अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। | Show All Related Pages | Show All शिवभारत - अध्याय अठ्ठाविसावा शिवभारत - अध्याय अठ्ठाविसावा शिवभारत - अध्याय अठ्ठाविसावा शिवभारत - अध्याय अठ्ठाविसावा शिवभारत - अध्याय पंचविसावा शिवभारत - अध्याय पंचविसावा शिवभारत - अध्याय पंचविसावा शिवभारत - अध्याय पंचविसावा स्वर्गवर्गः - श्लोक ८१ ते १२० स्वर्गवर्गः - श्लोक ८१ ते १२० नानार्थवर्गः - श्लोक ३१४ ते ३५९ नानार्थवर्गः - श्लोक ३१४ ते ३५९ स्वर्गवर्गः - श्लोक १२१ ते १६६ स्वर्गवर्गः - श्लोक १२१ ते १६६ संकीर्णवर्गः - श्लोक २२९ ते २७० संकीर्णवर्गः - श्लोक २२९ ते २७० वैश्यवर्गः - श्लोक १३३१ ते १३९६ वैश्यवर्गः - श्लोक १३३१ ते १३९६ स्वर्गवर्गः - श्लोक ४१ ते ८० स्वर्गवर्गः - श्लोक ४१ ते ८० वनौषधिवर्गः - श्लोक १८१ ते २२० वनौषधिवर्गः - श्लोक १८१ ते २२० वारिवर्गः - श्लोक ५५१ ते ६०४ वारिवर्गः - श्लोक ५५१ ते ६०४ अमरकोषः अमरकोषः वनौषधिवर्गः - श्लोक ३४१ ते ३८० वनौषधिवर्गः - श्लोक ३४१ ते ३८० क्षत्रियवर्गः - श्लोक १०५१ ते १०९० क्षत्रियवर्गः - श्लोक १०५१ ते १०९० नानार्थवर्गः - श्लोक ८१० ते ८४८ नानार्थवर्गः - श्लोक ८१० ते ८४८ विशेष्यनिघ्नवर्गः - श्लोक ८१ ते १०३ विशेष्यनिघ्नवर्गः - श्लोक ८१ ते १०३ दिग्वर्गः - श्लोक २११ ते २५० दिग्वर्गः - श्लोक २११ ते २५० वनौषधिवर्गः - श्लोक ९९ ते १४० वनौषधिवर्गः - श्लोक ९९ ते १४० दिग्वर्गः - श्लोक १७३ ते २१० दिग्वर्गः - श्लोक १७३ ते २१० अमरकोषः - तृतीयं सामान्यकाण्डम् अमरकोषः - तृतीयं सामान्यकाण्डम् स्त्रीपुंसशेषसंग्रहः - श्लोक १०१२ ते १०१५ स्त्रीपुंसशेषसंग्रहः - श्लोक १०१२ ते १०१५ मङ्गलाचरणम् - श्लोक १ ते ११ मङ्गलाचरणम् - श्लोक १ ते ११ नानार्थवर्गः - श्लोक ८४९ ते ८९१ नानार्थवर्गः - श्लोक ८४९ ते ८९१ वैश्यवर्गः - श्लोक १२९१ ते १३३० वैश्यवर्गः - श्लोक १२९१ ते १३३० शूद्रवर्गः - श्लोक १४४१ ते १४९० शूद्रवर्गः - श्लोक १४४१ ते १४९० शैलवर्गः - श्लोक ८२ ते ९८ शैलवर्गः - श्लोक ८२ ते ९८ नानार्थवर्गः - श्लोक ४३४ ते ४५९ नानार्थवर्गः - श्लोक ४३४ ते ४५९ नाट्यवर्गः - श्लोक ४४१ ते ४८५ नाट्यवर्गः - श्लोक ४४१ ते ४८५ विशेष्यनिघ्नवर्गः - श्लोक ४१ ते ८० विशेष्यनिघ्नवर्गः - श्लोक ४१ ते ८० नानार्थवर्गः - श्लोक ३६० ते ३९७ नानार्थवर्गः - श्लोक ३६० ते ३९७ मनुष्यवर्गः - श्लोक ५२९ ते ५७० मनुष्यवर्गः - श्लोक ५२९ ते ५७० पुंलिङ्गशेषसंग्रहः - श्लोक ९६० ते ९८१ पुंलिङ्गशेषसंग्रहः - श्लोक ९६० ते ९८१ वनौषधिवर्गः - श्लोक १४१ ते १८० वनौषधिवर्गः - श्लोक १४१ ते १८० अमरकोषः - द्वितीयं कान्डम अमरकोषः - द्वितीयं कान्डम प्राणिवर्गः - श्लोक १८१ ते २२८ प्राणिवर्गः - श्लोक १८१ ते २२८ कालवर्गः - श्लोक २५१ ते २९० कालवर्गः - श्लोक २५१ ते २९० क्षत्रियवर्गः - श्लोक १०९१ ते ११३० क्षत्रियवर्गः - श्लोक १०९१ ते ११३० नपुंसकशेषसंग्रहः - श्लोक ९८२ ते १००२ नपुंसकशेषसंग्रहः - श्लोक ९८२ ते १००२ मनुष्यवर्गः - श्लोक ७७१ ते ८०७ मनुष्यवर्गः - श्लोक ७७१ ते ८०७ सिंहादिवर्गः - श्लोक ४३७ ते ४८० सिंहादिवर्गः - श्लोक ४३७ ते ४८० सिंहादिवर्गः - श्लोक ४८१ ते ५२८ सिंहादिवर्गः - श्लोक ४८१ ते ५२८ नानार्थवर्गः - श्लोक ३९८ ते ४३३ नानार्थवर्गः - श्लोक ३९८ ते ४३३ क्षत्रियवर्गः - श्लोक १०३१ ते ११७२ क्षत्रियवर्गः - श्लोक १०३१ ते ११७२ नरकवर्गः - श्लोक ५११ ते ५१७ नरकवर्गः - श्लोक ५११ ते ५१७ शूद्रवर्गः - श्लोक १३९७ ते १४४० शूद्रवर्गः - श्लोक १३९७ ते १४४० मनुष्यवर्गः - श्लोक ५७१ ते ६१० मनुष्यवर्गः - श्लोक ५७१ ते ६१० नानार्थवर्गः - श्लोक ७८२ ते ८०९ नानार्थवर्गः - श्लोक ७८२ ते ८०९ मनुष्यवर्गः - श्लोक ६९१ ते ७३० मनुष्यवर्गः - श्लोक ६९१ ते ७३० क्षत्रियवर्गः - श्लोक १०११ ते १०५० क्षत्रियवर्गः - श्लोक १०११ ते १०५० | Show All : Folder : Page : Word/Phrase : Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. 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