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अध्याय १ - योनिविचारचक्र

मानसागरी - अध्याय १ - योनिविचारचक्र

सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.

The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.


घोडाकी योनिमें पैदा हुआ मनुष्य स्वच्छंद, अच्छे गुणवाला, शूरवीर, तेजस्वी, वाद्यमें प्रवीण, स्वामीका भक्त होता है ॥१॥

गज ( हाथी ) योनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य राजमान्य, बलवान्, भोगी, राजाके स्थानसे सत्कार पानेवाला, उत्साही होता है ॥२॥

पशुयोनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य स्त्रियोंको प्यारा, सदा उत्साहयुक्त, वाक्यरचनामें निपुण, थोडी आयुवाला होता है ॥३॥

सर्पयोनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य बडा क्रोधी, क्रूर, उपकारको ग्रहण न करनेवाला, वराये मकानको हरनेवाला होता है ॥४॥

श्वान ( कुत्ता ) योनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य उद्यमवान्, बडा उत्साही, शूर, स्वजातिका विग्रही, मातापिताका भक्त होता है ॥५॥

मार्जार ( बिलाव ) योनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य अपने कार्यमें शूर तथा दक्ष, मिष्टान्नका भोजन करनेवाल निर्दयी, दुष्ट, अच्छे भाग्यवाला होता है ॥६॥

मेष योनिमें उत्पन्न मनुष्य महापराक्रमी, योद्धा, समर्थ, धनका स्वामी ( धनी ), परोपकारी होता है ॥७॥

मूषकयोनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य बुद्धिमान, धनवान्, अपने कार्यके करनेमें उद्यत, मदसे रहित, विश्वास न करनेवाला होता है ॥८॥

सिंहयोनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य अपने धर्ममें तत्पर, शुभ आचारवाला, अच्छे क्रियाओंका करनेवाला, सुंदर गुणकरके युक्त, कुटुंबके उद्धार करनेवाला होत है ॥९॥

महिषयोनिमें जिसका जन्म हो वह संग्राममें विजयको पानेवाला, योद्धा, कामी, प्रजावला, अधिकवातवाला, मन्दबुद्धिवाला होता है ॥१०॥

व्याघ्रयोनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य स्वच्छन्द, धनमें रत, ग्राही, दीक्षावान्, धनवान् अपने आप अपनी प्रशंसा करनेवाला होता है ॥११॥

मृगयोनिमें पैदाहुआ मनुष्य स्वच्छंद, शांतस्वभाव, भली जीविकावाला, सत्य बोलनेवाला, अपने जनोंसे प्रीति करनेवाला अथवा स्वजनोंका प्रिय, धर्मवान्, युद्धमें शूर होता है ॥१२॥

वानरयोनिमें उत्पन्न हुआ मनुष्य चपल, मिष्टभोगी, धनका लोभी, लडाईसे प्रीति करनेवाला, कामी, प्रजावाला, शूर होता है ॥१३॥

नकुलयोनिमें जिसका जन्म हो वह परोपकार करनेमें दक्ष, धनका स्वामी, चतुर, पितामातासे प्रीति करनेवाला होता है ॥१४॥

इति योनिफलम् ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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