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अध्याय १ - संवत्सरनाम

मानसागरी - अध्याय १ - संवत्सरनाम

ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य दैनिक जीवन की समस्याओं का समाधान करना, आगामी घटनाओं की चेतावनी देना तथा उन घटनाओं का समय निश्चित करने मे व्यक्ति को सहायता प्रदान करना है ।

Jyotisha or Horoscope is a prediction of someone's future based on the relative positions of the planets


प्रभवो १ विभवः २ शुक्लः ३ प्रमोदोऽथ ४ प्रजापतिः ५ । अङ्गिराः ६ श्रीमुखो ७ भावो ८ युवा ९ धाता १० तथैव च ॥१॥

ईश्वरो ११ बहुधान्यश्च १२ प्रमाथी १३ विक्रमो १४ वृषः १५। चित्रभानुः १६ सुभानुश्च १७ तारणः १८ पार्थिवो १९ व्यव्यः २० ॥२॥

सर्वजित् २१ सर्वधारी च २२ विरोधी २३ विकृतिः २४ खरः २५ । नन्दनो २६ विजयश्चैव २७ जयो २८ मन्मथ २९ दुर्मुखौ ३० ॥३॥

हेमलंबी ३१ विलंबी च ३२ विकारी ३३ शार्वरी ३४ प्लवः ३५ । शुभकृत् ३६ शोभकृत् ३७ क्रोधी ३८ विश्वावसु ३९ पराभवौ ४० ॥४॥

प्लवङ्गः ४१ कील्कः ४२ सौम्यः ४३ साधारण ४४ विरोधकृत् ४५ । परिधावी ४६ प्रमादी च ४७ आनन्दो ४८ राक्षसो ४९ नलः ५० ॥५॥

पिङ्गलः ५१ कालयुक्तश्च ५२ सिद्धार्थी ५३ रौद्र ५४ दुर्मती ५५ । दुन्दुभी ५६ रुधिरोद्नारी ५७ रक्ताक्षी ५८ क्रोधनः ५९ क्षयः ६० ॥६॥

प्रभावादि व्ययपर्यन्त संवत्सर ब्रह्मविंशोत्तरीके नामसे कहलाते हैं एवं सर्वजित् इत्यादिसे पराभवपर्यन्त ये बीस विष्णुविंशोत्तरीके नामसे कहेजाते हैं और प्लवंगसे क्षयसंवत्सरतक ये बीस रुद्रविंशोत्तरीके नामसे कहेजाते हैं ॥१-६॥

वर्त्तमान शाक्राको दो जगह स्थापित करै. एक जगह बाईस २२ से गुणाकर चार हजार दो सौ इक्यानवे ४२९१ और मिलावे, जो संख्या हो उसमें अठारहसौ पचहत्तर १८७५ का भाग दे, शेषांकको एकान्त स्थापित करदे और लब्धिको दूसरी जगह स्थापित शाकामें युक्त करके साठ ६० का भाग दे, लब्ध व्यर्थ शेष गत संवत्सर होता है, एक मिलानेसे वर्त्तमान संवत्सर होता है, फिर एकान्नस्थापित अठारह सौ पचहत्तरसे शोषितको बारहसे गुणाकर वही १८७५ का भाग दे इसी प्रकार दिनादि निकाल ले, वह गतमासादि संवत्सरके होंगे, बारहमें घटा दे तो वर्त्तमान संवत्सरके भोग्यमासादि होंगे शुरु शाकामें ॥१॥

उदाहरण-- वर्तमान शाका १७९६ को द्विधा १७९६ स्थापित किया एक जगह १७९६ को २२ से गुणा तब ३९५१२ हुए इनमें ४२९१ युक्त किया तब ४३८०३ हुआ, इसमें १८७५ का भाग दिया लब्ध २३, शेष ६७८ एकान्त धरा फिर लब्ध २३ को दूसरी जगह स्थापित १७९६ शाकामें युक्त किया तव १८१९ हुए ६० का भाग दिया लब्ध ३० व्यर्थ शेष १९ गत संवत्सर हुआ इसमें एक मिलाया तो २० व्यससंवत्सर वर्तमान हुआ फिर शेष ६७८ को १२ से गुणा तब ८१३६ हुए इनमें १८७५ का भाग दिया तब गतमास ४ हुए शेष ६३६ को ३० गुणा तब १९०८० हुए १८७५ का भाग दिया लब्ध गत दिन लब्ध गव घटी १० शेष १००० को ६० से गुणा तब ६०००० हुए १८७५ का भाग दिया लब्ध गतफल ३२ हुए अर्थात् गत मासादि ४ । १० । १० । ३२ इनको १२ में हीन क्रिया तो वर्तमान संवत्सरके भोग्य मासादि हुए मा. ७ दि. १९ घ. ४९ पल २७० अर्थात् व्ययसंवत्सर इतने दिन शुरु शाकासे और भोग करेगा ॥

वर्तमानशाकामें तेईस युक्त करके साठका भाग दे लब्धव्यर्थ शेष गतसंवत्सर होता है एक मिलानेसे वर्तमानसंवत्सर होता है ॥१॥

वर्तमान शाका १८२३ में २३ युक्त किया तब १८४६ हुए ६० का भाग दिया शेष ४६ गत संवत्सर हुआः १ मिलाया तव ४७ अर्थात् प्रमादीनाम संवत्सर हुआ ।

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Last Updated : January 22, 2014

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