अभिलाषा - आज मोहिं लागे वृन्दावन...

’अभिलाषा’के अंतर्गत भगवत्प्रेमी संतोंकी सुमधुर कल्याणमयी कामनाओंका दिग्दर्शन करानेवाले पदोंकी छटा भाव-दृष्टिके सामने आती है ।


आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको ॥

घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा, दरसण गोविन्दजीको ॥१॥

निरमल नीर बहत जमुनामें, भोजन दूध दहीको ।

रतन सिंघासण आपु बिराजै,मुकुट धर् यो तुलसीको ॥२॥

कुञ्जन-कुञ्जन फिरत राधिका,सबद सुणत मुरलीको ।

’मीरा’ के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको ॥३॥

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Last Updated : January 22, 2014

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