भजन - गावैं गुनी , गनिका , गन्ध...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


गावैं गुनी, गनिका, गन्धर्व औ सारद, सेष सबै गुन गावैं ।

नाम अनन्त गनन्त गनेस-ज्यों, ब्रह्मा त्रिलोचन पार न पावैं ॥

जोगी, जती, तपसी अरु सिद्ध, निरन्तर जाहि समाधि लगावैं ।

ताहि अहीरकी छोहरियाँ, छछियाभरि छाछपै नाच नचावैं ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 25, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP