भजन - पावस रितु बृन्दावनकी दुति...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


पावस रितु बृन्दावनकी दुति दिन-दिन दूनी दरसै है ।

छबि सरसै है लूमझूम यो सावन घन घन बरसै है ॥१॥

हरिया तरवर सरवर भरिया जमुना नीर कलोलै है ।

मन मोलै है, बागोंमें मोर सुहावणो बोलै है ॥२॥

आभा माहीं बिजली चमकै जलधर गहरो गाजै है ।

रितु राजै है, स्यामकी सुंदर मुरली बाजै है ॥३॥

(रसिक) बिहारीजी रो भीज्यो पीतांबर प्यारीजी री चूनर सारी है ।

सुखकारी है, कुंजाँ झूल रह्या पिय प्यारी है ॥४॥

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Last Updated : December 23, 2007

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