भजन - नंदनँदनके ऐसे नैन । अति ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


नंदनँदनके ऐसे नैन ।

अति छबि भरे नागके छौना, डरति डसैं करि सैन ॥

इन सम साबर मंत्र न होई, जादू जंत्र, तंत्र नहिं कोई ।

एक दृष्‍टिमें मन हरि लेवैं करि देवैं बेचैन ॥

चितवनमें घायल करि डारैं इनपै कोटि बान लै बारैं ।

अति पैने, तिरछे हिय कसकैं, स्वास न देवैं लेन ॥

चंचल चपल मनोहर कारे, खंजन-मान लजावन हारे ।

नारायन सुन्दर मतवारे अनियारे, दुख दैन ॥

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Last Updated : December 24, 2007

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