भजन - जो धुनियाँ तौ भी मैं ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जो धुनियाँ तौ भी मैं राम तुम्हारा ।

अधम कमीन जाति मतिहीना, तुम तौ हौ सिरताज हमारा ॥टेक॥

कायाका मंत्र सबद मन मुठिया, सुखमन ताँत चढ़ाई ।

गगनमँडलमें धनुआँ बैठा, मेरे सतगुर कला सिखाई ॥१॥

पाप पान हर कुबुध काँकड़ा, सहज सहज झड़ जाई ।

घुंडी-गाँठ रहन नहिं पावै, इकरंगी होय आई ॥२॥

इकरँग हुआ भरा हरि चोला, हरि कहै कहा दिलाऊँ ।

मैं नाहीं मेहनतक लोभी, बकसौ मौज भगति निज पाऊँ ॥३॥

किरपा कर हरि बोले बानी, तुम तौ हौ मम दास ।

दरिया कहै, मेरे आतम भीतर, मेलौ राम भगति बिस्वास ॥४॥

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Last Updated : December 16, 2016

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