भजन - परमधन राधे नाम अधार ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


परमधन राधे नाम अधार ।

जाहि स्याम मुरलीमें टेरत, सुमिरत बारंबार ॥

जंत्र-मंत्र औ बेद तंत्रमें सबै तारकौ तार ।

श्रीसुक प्रगट कियो नहिं यातैं जानि सारको सार ॥

कोटिन रुप धरे नँद-नंदन, तऊ न पायौ पार ।

ब्यासदास अब प्रगट बखानत, डारि भारमें भार ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 21, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP