भजन - ऐसो कछु अनुभव कहत न आवै ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


ऐसो कछु अनुभव कहत न आवै ।

साहिब मिलै तो को बिलगावै ॥टेक॥

सबमें हरि है हरिमें सब है, हरि अपनो जिन जाना ।

साखी नहीं और कोइ दूसर, जाननहार सयाना ॥१॥

बाजीगरसों राचि रहा, बाजीका मरम न जाना ।

बाजी झूठ साँच बाजीगर, जाना मन पतियाना ॥२॥

मन थिर होइ तो कोई न सूझै, जानै जाननहारा ।

कह रैदास बिमल बिबेक सुख, सहज सरूप सँभारा ॥३॥

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Last Updated : December 20, 2007

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