हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे ५१ से १००|
ये कलजुगका फेरा यारो खबरद...

कबीर के दोहे - ये कलजुगका फेरा यारो खबरद...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


ये कलजुगका फेरा यारो खबरदारीसे पार पडो ।

रखो भक्तिका तेगा हाथमें । तब जमजीको जाके भीडो ॥ध्रु०॥

तप सत बरत दान चार पग धरम रह बनमों जाके ।

तीन पाव तो तुटे दानका आधा हुवा ओ कौन रखे ॥१॥

करम धरमका अम्मल उठा जप तपकी तहागीर भई ।

बाहली हुई नामकी दुहाई जमके मुखपर चढ आयी ॥२॥

दीन दीन आगे बहुत बुरे है न धर्म न रहे डुब जावेगी ।

श्रीकाशी जग उद्धारनीसो गुप्त हुवे समज आवेगी ॥३॥

करम भारसे धरनी कांपे भार उतारो प्रभु मेरा ।

लोक खलक सब सफा हुवेगा रहे भक्तिका कछु दोरा ॥४॥

कहत कबीरा श्रीरामचंद्रके पग सुमरो तुम आन तजो ।

पत्र पुष्प फल जल पत्तेसे करो पूजा तुम राम भजो ॥५॥

N/A

References : N/A
Last Updated : January 07, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP