गायत्री मन्त्रका अर्थ

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


ॐ भूर्भुब : स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।
गायत्री मन्त्रका अर्थ- भूः-सत्, भुवः-चित्, स्व:-आनन्द-स्वरुप, सवितु: देवस्य-सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्माके, तत् वरेण्यं भर्गः-उस प्रसिध्द वरणीय तेजका (हम) ध्यान करते है, य:-जो परमात्मा, नः-हमारी, धियः-बुध्दिको (सत्‍की ओर) प्रचोदयात्-प्रेरित करे।

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Last Updated : November 27, 2018

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