दूसरेके लिये स्नान

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


दूसरेके लिये स्नान -- यदि कोई उदार व्यक्ति माता, पिता, गुरु, भाई, मित्र आदिके लिये स्नान करना चाहे तो शास्त्रोंमें इसकी भी व्यवस्था बतलायी गयी है । जिनके लिये स्नान किया जाता है, स्नानका आठवाँ भाग उसे मिलता है । जीवित व्यक्तियोंके लिये स्नानकी विधि भिन्न है और मृत व्यक्तियोंके लिये भिन्न । यहाँ दोनों विधियाँ लिखी जाती हैं ।
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जीवित व्यक्तिके लिये -- जीवित व्यक्तिके नामका इस प्रकार (अद्य ...... अमुक शर्मण:, (वर्मण:, गुप्तस्य, दासस्य) कृते..... स्नानं करिष्यामि ) संकल्प कर स्नान करे ।
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मृत व्यक्तिके लिये कुशमें गाँठ देकर, उस कुशमें उसका ध्यान कर नीचे लिखे मन्त्रको पढ़कर कुशको नहला दे --
कुशोऽसि कुशपुत्रोऽसि ब्रह्मणा निर्मित: स्वयम् ।
त्वयि स्नाते स च स्नातो यस्येदं ग्रन्थिबन्धनम् ॥
इसके बाद ग्रन्थिका विसर्जन कर दे ।

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Last Updated : November 25, 2018

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