पितृ-तर्पण

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


पितृ-तर्पण --
(सपितृक इसका कुछ अंश करे ) -- दक्षिणकी ओर मुँह कर अपसव्य होकर (जनेऊको दाहिने कंधे और बायें हाथके नीचे करके) गमछेको भी दाहिने कंधेपर रखकर पितृतीर्थसे तीन-तीन जलाञ्जलि दे । (सपितृक जनेऊको केवल पहुँचेतक ही रखे, बाये हाथके नीचे न करे) --
'प्राचीनावीती त्वाप्रकोष्ठात्' (आचारत्न) ।
ॐ कव्यवाडनलादय: पितरस्तृप्यन्ताम् (३) । ॐ चतुर्दशयमा- स्तृप्यन्ताम् (३) । ॐ भू; पितरस्तृप्यन्ताम् (३) । ॐ भुव: पितरस्तृप्यन्ताम (३) । ॐ स्व: पितरस्तृप्यन्ताम् (३) । ॐ भूर्भुव: स्व: पितरस्तृप्यन्ताम्(३) ।

N/A

References : N/A
Last Updated : November 25, 2018

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP