मूत्र-शौच-विधि

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


केवल लघुशंका (पेशाब) करनेपर शौचकी (शुध्द होनेकी) विधि कुछ भिन्न होती है । लघुशंकाके बाद यदि आगे निर्दिष्ट क्रिया न की जाय तो प्रायश्चित करना पड़्ता है । अत: इसकी उपेक्षा न करे ।
विधि यह है -- लघुशंकाके बाद एक बार लिन्गमें, तीन बार बायें हाथमें और दो बार दोनों हाथोंमे मिट्टी लगाये और धोये । एक-एक बार पैरोंमें भी मिट्टी लगाये और धोये । फिर हाथ ठीकसे धोकर चार कुल्ले करे । आचमन कर, इसके बाद मिट्टीको अच्छी तरह बहा दे । स्थान साफ कर दे । शीघ्रतामें अथवा मार्गादिमें जलसे लिन्ग प्रक्षालन कर लेनेपर तथा हाथ--पैर धो लेनेपर और कुल्ला कर लेनेपर सामान्य शुध्दि हो जाती है, पर इतना अवश्य करना चाहिये ।

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Last Updated : November 25, 2018

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