हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|हिन्दी कथा|सामाजिक कथा|प्रेमचंद की कहानियाँ| राष्ट्र का सेवक प्रेमचंद की कहानियाँ मिस पद्मा पर्वत यात्रा देवी होली की छुट्टी नैराश्य लीला सैलानी बंदर आत्म-संगीत मनावन तेंतर शंखनाद राजहठ राष्ट्र का सेवक बोहनी तिरसूल धिक्कार मोटर के छींटे कुत्सा त्रिया चरित्र एक आंच की कसर तांगेवाले की बड़ शांति बन्द दरवाजा गैरत की कटार क़ातिल नबी का नीति-निर्वाह आख़िरी तोहफ़ा एक्ट्रेस बकरी खरीद लो दण्ड कप्तान साहब कवच झाँकी सिर्फ एक आवाज आखिरी मंजिल मुबारक बीमारी दुर्गा का मन्दिर प्रेम-सूत्र बैंक का दिवाला नादान दोस्त अपनी करनी नाग-पूजा कर्मों का फल' क्रिकेट मैच कौशल इज्ज़त का ख़ून जेल धिक्कार पुत्र-प्रेम शादी की वजह माँ मंत्र समस्या दिल की रानी ज्योति इस्तीफा उद्धार अलग्योझा ईश्वरीय न्याय आत्माराम नशा बड़े बाबू नरक का मार्ग शतरंज के खिलाड़ी दो बैलों की कथा बूढ़ी काकी बड़े भाई साहब बड़े घर की बेटी ठाकुर का कुआँ गुल्ली-डंडा नमक का दारोगा पंच परमेश्वर ईदगाह कफ़न पूस की रात प्रेमचंद की कहानियाँ - राष्ट्र का सेवक मुन्शी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। Tags : bookpramchandपुस्तकप्रेमचंदहिन्दी राष्ट्र का सेवक Translation - भाषांतर राष्ट्र के सेवक ने कहा—देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सुलूक, पतितों के साथ बराबरी को बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीचा नहीं, कोई ऊंचा नहीं।दुनिया ने जयजयकार की—कितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक हृदय !उसकी सुन्दर लड़की इन्दिरा ने सुना और चिन्ता के सागर में डूब गयी।राष्ट्र के सेवक ने नीची जात के नौजवान को गले लगाया।दुनिया ने कहा—यह फ़रिश्ता है, पैग़म्बर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है।इन्दिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा।राष्ट्र का सेवक नीची जात के नौजवान को मंदिर में ले गया, देवता के दर्शन कराये और कहा—हमारा देवता ग़रीबी में है, जिल्लत में है ; पस्ती में हैं।दुनिया ने कहा—कैसे शुद्ध अन्त:करण का आदमी है ! कैसा ज्ञानी !इन्दिरा ने देखा और मुस्करायी।इन्दिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली— श्रद्धेय पिता जी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ।राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नजरों से देखकर पूछा—मोहन कौन हैं?इन्दिरा ने उत्साह-भरे स्वर में कहा—मोहन वही नौजवान है, जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मंदिर में ले गये, जो सच्चा, बहादुर और नेक है।राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आंखों से उसकी ओर देखा और मुँह फेर लिया। N/A References : N/A Last Updated : January 22, 2014 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP