नित्यकर्म - कर्म २

भगवान शिव ने लंकापती रावण को जो तंत्रज्ञान दिया , उसमेंसे ये साधनाएं शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है ।


दंतधावन - विधि

मुखशुद्धि किए बिना कोई भी मंत्र कभी फलदायक नहीं होता । अतः सूर्योदय से पहले और बाद में उत्तर अथवा दोनों समय पूर्वोत्तर कोण ( ईशान ) में मुंह करके दतुअन करें । मध्यमा , अनामिका अथवा अंगुष्ठ से दांत साफ करें । तर्जनी उंगली का कभी प्रयोग न करें । तत्पश्चात् प्रार्थना करें -

आयुर्बलं यशो वर्चः प्रजाः पशुवसूनि च ।

ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वन्नो देहि वनस्पते ॥

 

दुग्धवाले वृक्ष का बारह अंगुल का दतुअन ( दातौन ) धोकर उपर्युक्त प्रार्थना करें । फिर दतुअन को चीरकर जीभी करें और धोकर बायीं ओर फेंक दें ।

 

स्नान विधि

मानव - शरीर में नौ छिद्र प्रमुख होते हैं । रात्रि में शयन करने से वे अपवित्र हो जाते हैं । अतः प्रातः स्नान अवश्य करना चाहिए । गंगा आदि नदी में कभी दतुअन नहीं करना चाहिए । स्नानोपरांत गंगा में भीगे वस्त्र बदलने अथवा निचोड़ने नहीं चाहिए । निम्नलिखित मंत्र से वरुण की प्रार्थना करें -

 

अपामधिपतिस्त्वं च तीर्थेषु वसतिस्तव ।

वरुणाय नमस्तुभ्यं स्नानानुज्ञां प्रयच्छ मे ॥

पवित्र होकर एवं स्नानार्थ संकल्प करके निम्नलिखित मंत्र से मृत्तिका लगाएं । कटि के नीचे , दाहिने हाथ तथा मंत्र से न लगाएं ।

अश्वक्रांते रथक्रांते ! विष्णुक्रांते ! वसुंधरे ! ।

मृत्तिके ! हर मे पापं यन्मया दुष्कृतां कृतम् ॥

 

तीर्थावाहन

पुष्कराद्यानि तीर्थानि गंगाद्या सरितस्तथा ।

आगच्छन्तु पवित्राणि स्नानकालं सदा मम् ॥

भागीरथी की प्रार्थना

विष्णुपादाब्ज संभूते ! गंगे ! त्रिपथगामिनी ।

धर्मद्रवेति विख्याते ! पापं मे हर जाह्नवि ॥

नाभि तक जल में उतरकर सूर्य की ओर मुख करके ( जल के ऊपर ब्रह्महत्या रहती है , इसलिए ) जल हिलाकर एवं तीन गोते लगाकर स्नान करें । अच्छी तरह स्नान कर लेने पर निम्न मंत्र से जल के बाहर एक अंजलि दें ।

यन्मया दूषितं तोयं मलैः शरीरसंभवेः ।

तस्य पापस्य शुद्धयर्थं यक्ष्माणं तर्पमाम्यहम् ॥

यदि घर में स्नान करें तो पूर्वाभिमुख हो पात्र से जल लेकर वरुण और गंगा आदि तीर्थो का आवाहन कर पांव तथा मुख धोकर स्नान करें । असमर्थ अवस्था में निम्न क्रिया करने से भी स्नान का फल होता ( मिलता ) है ।

मणिबंध , हाथ तथा घुटनों तक पैर धोकर एवं पवित्र होकर दोनों घुटनो के भीतर हाथ करके आचमन करने से स्नान के समान फल होता है ।

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Last Updated : December 26, 2010

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