भजन - जो तुम तोरौ राम मैं नाहिं...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जो तुम तोरौ राम मैं नाहिं तोरौं ।

तुमसे तोरि कवनसे जोरौं ॥टेक॥

तीरथ बरत न करौं अंदेसा ।

तुम्हरे चरन कमल क भरोसा ॥१॥

जहँ तहँ जाओं तुम्हरी पूजा ।

तुमसा देव और नहिं दूजा ॥२॥

मैं अपनो मन हरिसं जोरयों ।

हरिसों जोरि सबन सो तोरयों ॥३॥

सबही पहर तुम्हारी आसा ।

मन क्रम बचन कहै रैदासा ॥४॥

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Last Updated : December 20, 2007

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