संस्कृत सूची|पूजा विधीः|प्रतिष्ठारत्नम्|
ध्वजोच्छ्रयणम्‌

ध्वजोच्छ्रयणम्‌

सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.


मूर्तिस्थिरीकरण समय अथवा  शुभलग्नमें यह विधि करें । ध्वजदंड एवं ध्वज की पूजा करें । उसमें देवता का आवाहन, मंडलचिहन, देवता के वाहनमंत्र से अथवा प्रधान देवता मंत्र से पूजन पश्चात्‌ न्यास करें ।

ॐ प्रस्फुर प्रस्फुर हुं फट्‌ - हृदयाय नम: ।
ॐ घोर घोरतर      ”  - शिरसे स्वाहा ।
ॐ तनुरूप        ”   - शिखाय़ै वषट ।
ॐ चट चट प्रचट प्रचट हुं फट - कवचाय हुम्‌ ।
ॐ कह कह वम वम घातय घातय हुं फ‍ट्‌ - अस्त्रायफट्‌ । पश्चात्‌ उच्छ्रयण करे - ॐ प्रस्फुर प्रस्फुर घोर घोरतर तनुरुप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम घातय घातय हुं फट्‌ अस्त्रायनम: ।

ॐ उच्छ्रयस्व वनस्पत‍ऽऊर्ध्वो मा पाहय हसऽआस्य यज्ञस्यो द्दच: ॥ ॐ केतुं कृण्वन्‌० ॐ उद्धर्षय मघवन्‌० शिखर में स्थिर करें ।

N/A

References : N/A
Last Updated : May 24, 2018

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP