भजन - कमलदल नैननिकी उनमानि । ब...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


कमलदल नैननिकी उनमानि ।

बिसरत नाहिं सखी, मो मनतं मन्द-मन्द मुसुकानि ॥

यह दसननि दुति चपलाहूतें महाचपल चमकानि ।

बसुधाकी बस करी मधुरता, सुधा-पगी बतरानि ॥

चढ़ी रहै चित उर बिसालकी, मुकुत माल थहरानि ।

नृत्य-समय पीताम्बरहूकी फहरि-फहरि फहरानि ॥

अनुदिन श्रीबृंदाबन ब्रजतें, आवन आवन जानि ।

अब 'रहीम' चिततें न टरति है, सकल स्यामकी बानि ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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