भजन - जय जय रसिक रवनीरवन । रुप...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जय जय रसिक रवनीरवन ।

रुप, गुन, लावन्य, प्रभुता, प्रेम पूरन भवन ॥

बिपति जानकी भानबेकों, तुम बिना कहु कवन ।

हरहु मनकी मलिनता, ब्यापै न माया पवन ॥

बिषय रस इंद्री अजीरन अति करावहु बवन ।

खोलिये हियके नयन, दरसै सुखद बन अवन ॥

चतुर, चिंतामनि, दयानिधि, दुसह दारिद दवन ।

मेटिये भगवत ब्यथा, हँसि भेंटिये तजि मवन ॥

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Last Updated : December 22, 2007

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