प्रकृतिस्मरण

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथाप:
स्पर्शी च वायुर्ज्वलितं च तेज: ।
नभ: सशब्दं महता सहैव
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
(वामनपु० १४।२६)
'गन्धयुक्त पृथ्वी, रसयुक्त जल, स्पर्शयुक्त वायु, प्रज्वलित तेज, शब्दसहित आकाश एवं महत्तत्व -- ये सभी मेरे प्रात:कालको मड्गलमय करें ।'
इत्थं प्रभाते परमं पवित्रं पठेत् स्मरेद्वा श्रृणुयाच्च भक्त्या ।   
दु:स्वप्ननाशस्त्विह सुप्रभातं भवेच्च नित्यं भगवत्प्रसादात् ॥
(वामनपु० १४।२८)
'इस प्रकार उपर्युक्त इन प्रात:स्मरणीय परम पवित्र श्लोकोंका जो मनुष्य भक्तिपूर्वक प्रात: काल पाठ करता है, स्मरण करता है अथवा सुनता है, भगवद्दयासे उसके दु:स्वप्नका नाश हो जाता है और उसका प्रभात मड्गलमय होता है ।'

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Last Updated : November 25, 2018

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