करंधम n. (सो. तुर्वसु.) भागवतमत में त्रिभानुपुत्र, विष्णुमत में त्रिशांबपुत्र, वायुमत में त्रिसारिपुत्र तथा मस्त्यमत में त्रिसानपुत्र ।
करंधम II. n. (सू. दिष्ट.) भागवत तथा वायु के मतानुसार खनिनेत्र का पुत्र तथा विष्णु के मतानुसार अतिभूतिपुत्र । अवीक्षित राजा का पिता तथा मरुत्त राजा का पितामह
[म.अनु.१३७.१६] । इसका मूल नाम सुवर्चस् था । करंधम नाम प्रचलित होने का कारण यह है । एक बार अनेक राजाओं ने मिल कर इसे अत्यंत त्रस्त किया । तब इसने अपने हस्त कंपित कर के सेना उत्पन्न की तथा सब का पराभव किया
[म. आश्व.४.९-१६] । इसे कालभीति ने उपदेश किया था
[स्कंद.१.२.४०-४२] । महाभारत में तथा मार्कडेय में बलाश्व पाठभेद मिलता है
[मार्क.११.८,२१] ।