रामज्ञा प्रश्न - सप्तम सर्ग - सप्तक ३

गोस्वामी तुलसीदासजीने श्री. गंगाराम ज्योतिषीके लिये रामाज्ञा-प्रश्नकी रचना की थी, जो आजभी उपयोगी है ।


सुधा साधु सुरतरु सुमन सुफल सुहावनि बात ।

तुलसी सीतापति भगति, सगुन सुमंगल सात ॥१॥

तुलसीदासजी कहते हैं कि अमृत, साधु, कल्पवृक्ष, पुष्प, अच्छे फल, सुहावनी बात और श्रीरघुनाथजीकी भक्ति ये सात मंगलदायक शकुन हैं ॥१॥

( प्रश्‍न फल श्रेष्ठ है । )

सिद्ध समागम संपदा सदन सरीर सुपास ।

सीतानाथ प्रसाद सुभ सगुन सुमंगल बास ॥२॥

सिद्ध पुरुषोंसे भेंट सम्पत्ति, घर और शरीर ( स्वास्थ्य ) का सुख देनेवाली है । श्रीसीतानाथकी कृपासे यह शुभ शकुन परम मंगलका निवास है ॥२॥

कौसल्या कल्यानमय मूरति करत प्रनामु ।

सगुन सुमंगल काज सुभ कृपा करहिं सिय रामु ॥३॥

कल्याणकी मूर्ति कौसल्याजीको प्रणाम करनेसे श्रीसीताराम कृपा करते हैं, सभी कार्योंमे परम मंगल होता है । यह शकुन शुभ है ॥३॥

सुमिरि सुमित्रा नाम जग जे तिय लेहिं सुनेम ।

सुवन लखन रिपुदवन से पावहिं पति पद प्रेम ॥४॥

जो नारियाँ दृढ़ नियमपूर्वक संसारमें श्रीसुमित्राजीका नाम लेती ( जपती ) और उनका स्मरण करती हैं, वे लक्ष्मण और शत्रुघ्नके समान पुत्र तथा पतिके चरणोंके प्रेम पाती हैं ॥४॥

( शकुन स्त्रियोंके लिये पुत्र तथा पति-प्रेमकी प्राप्तिका सूचक है । )

दसरथ नाम सुकामतरु फल‍इ सकल कल्यान ।

धरनि धाम धन धरम सुख सुत गुन रूप निधान ॥५॥

महाराज दशरथका नाम उत्तम कल्पवृक्षके समान है, समस्त कल्याणरूप फल फलता ( देता ) है । पृथ्वी, घर, धन, धर्म,सुख तथा गुण और रूपके निधान पुत्र प्राप्त होंगे ॥५॥

कलह कपट कलि कैकई सुमिरत काज नसाइ ।

हानि मीचु दारिद दुरित असगुन असुभ अघाइ ॥६॥

झगडा़ कपट एवं कलियुगकी मूर्ति कैकेयीका स्मरण करनेसे कार्य नष्ट हो जाता है । यह हानि, मृत्यु, दरिद्रता तथा पापसुचक अत्यन्त अशुभ अपशकुन है ॥६॥

राम बाम दिसि जानकी लखनु दाहिनी ओर ।

ध्यान सकल कल्यानमय, सुरतरू तुलसी तोर ॥७॥

श्रीरामजीकी बायीं ओर श्रीजानकीजी और दाहिनी ओर श्रीलक्ष्मणजी हैं, इस छबिका ध्यान सब प्रकार कल्याणमय है । तुलसीदासजी कहते हैं कि ( यह ध्यान ) तुम्हारे लिये तो कल्पवृक्ष ( अर्थात् सभी मनोरथ पूर्ण करनेवाला) है ॥७॥

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Last Updated : January 22, 2014

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