भजन - मेरौ माई माधो सों मन ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


मेरौ माई माधो सों मन लाग्यौ ।

मेरौ नैन अरु कमलनैनकौ इकठौरौ करि मान्यौ ॥

लोक बेदकी कानि तजी मैं न्यौती अपने आन्यौ ।

इक गोबिन्द चरनके कारन बैर सबनसों ठान्यौ ॥

अबको भिन्न होय मेरी सजनी ! दूध मिल्यौ जैसे पान्यौ ।

परमानंद मिली गिरधर सों है पहली पहचान्यौ ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 21, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP