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जोगी जंगमसे बडा सन्यासी औ...

कबीर के दोहे - जोगी जंगमसे बडा सन्यासी औ...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


जोगी जंगमसे बडा सन्यासी और फकीर बीरमाये ।

बम्मन सोई बेद बखाने । दत्त दिगांबर ध्याये ॥१॥

जोगी जोग जुगतकु पाये । अंतर जोग निरंतर ध्याये ॥ध्रु०॥

अलख पुरुखका लाग्यो ध्यास । सो जोगी रहे निरास ॥२॥

जंगम सोई आगम सुझे । स्वयं लिंगकू मनमों बुझे ।

मन पवनमें रहे उदास सोई जंगम न धरे आस ॥३॥

जो परम पुरुखकू अंतर ध्याय । सो संन्यासी समरस होय ।

दश पवनकी बांधी लोथ । ब्रह्य भुवनमों निर्भय सोत ॥४॥

सोफी साफ गैबी आवाज । दिल्लगीसे पढो निमाज ।

अलख अल्लाकी करे जीकीर । सो फकीर है बेफिकीर ॥५॥

ब्रह्म न सोई बेद बखाने । आत्मग्यानसो अंतर ज्याने ।

जनम मरनका वारा फंद । अक्षयपदमों रहे निर्बंध ॥६॥

जती जंद संतकु राखे ठौर । जब पुरुखकी करनी सार ।

जेतें संतसे रहनी घरे जती जुग जुग तरे ॥७॥

सब घट दया एक निरंतर सो घरबसी सफेद कलंदर ।

रामानंद गुरुका दास कबीर कहे उनोकी चरनकी आस ॥८॥

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Last Updated : January 07, 2008

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