फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - व्रतद्वयी पूर्णिमा

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


व्रतद्वयी पूर्णिमा

( कृत्यतत्त्वार्णव ) - फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमाको कश्यप ऋषिके औरस और अदितिके गर्भसे अर्यमा ( आदित्य ) एवं अनुसूयाके गर्भसे निशाकर ( चन्द्रमा ) उत्पन्न हुए थे । अतः सूर्योदयके समय आदित्यका और चन्द्रोदयके समय चन्द्रमाका ( अथवा चन्द्रोदयके समय सूर्य और चन्द्र दोनोंका ) विधिपूर्वक पूजन करके गायन, वादन और नृत्यसे जागरण करे । इस दिन उपवास न करे । नक्तव्रत ( रात्रिमें एक बार भोजन ) करे ।

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Last Updated : January 02, 2002

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