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पूजा एवं विधी
ईश्वर की कॄपा तथा दया प्राप्त करनेके लिए नित्य पूजा विधी करनी चाहिये, क्योंकी पूजा का अध्यात्म तथा धर्म से गहरा संबंध है ।
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नित्यकर्म-विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - कर दर्शन
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - प्रात:स्मरण
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - वेदोक्त प्रातःस्मरण सूक्त
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - स्नान की विधि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - सन्ध्योपासन विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - तर्पण विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - सूर्योपस्थान
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - समर्पण
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - नित्य होम विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - बलिवैश्वदेव विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - ब्रह्मयज्ञ विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - संक्षिप्त भोजन विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - शिवपूजनविधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - विष्णु पूजन विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - राम पूजनविधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - हनुमत्पूजनविधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - दुर्गापूजनविधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - शिवमहिम्न: स्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - आदित्यहृदयस्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - रामरक्षास्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - महामृत्युञ्जयस्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - अन्नपूर्णास्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - चाक्षुषोपनिषद्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - सप्तश्लोकी दुर्गा
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - सप्तश्लोकी गीता
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - चतु:श्लोकीभागवतम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - प्रकार १
ईश्वर की कॄपा तथा दया प्राप्त करनेके लिए नित्य पूजा विधी करनी चाहिये, क्योंकी पूजा का अध्यात्म तथा धर्म से गहरा संबंध है ।
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पूजा विधी - गुरु स्मरण तथा स्वस्तयन
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - ध्यान
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - संकल्पम् तथा दिग्रक्षणम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - शिखा बन्धनम्, भूत शुद्धि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - देवताओं के ध्यान
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - वरुण पूजा
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - दीप पूजनम् आदि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - कलश स्थापनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - पंचलोकपाल पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - षोडशमातृका पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सप्तधृतमातृका पूजनं
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - द्वादश विनायक पूजा
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - नवग्रह मण्डल पूजन
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - संक्षिप्त पुन्याहवाचन प्रयोग:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - रक्षा विधानम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - आचार्यादि ऋत्विग्वरणम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - श्रीशालग्राम पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - पित्रीश्वर पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - संक्षिप्त नान्दी श्राद्ध
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - चतुःषष्टियोगिनी पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सर्वतोभद्र देवता पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सतोरण द्वारपाल दिक्पाल पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - क्षेत्रपाल देवता पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - शिवपूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - पार्थिवलिङ्ग पूजने
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती , धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे , आणि यांना जोड असते व्रत -वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची .
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पूजा विधी - अन्य देवता पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - कीर्तिमुख पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - अष्टोत्तरशतनामभि: शिवार्चनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - श्री महालक्ष्मी पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - श्री महाकाली ( दावात ) पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सरस्वती ( बही खाता ) पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - कुबेर पूजनम् ( तिजोरी या बक्सा में )
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - दीपमालिका ( दीपक ) पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधे - हवन कर्मपूजा ( होम )
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - अथ हवन विधि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - विविध होमः
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - दशदिक्पालानां होम:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - चतु: षष्टि योगिनीनां होम:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - पञ्चाशत्क्षेत्रपाल देवतानां होम:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - स्विष्टकृ आहुतियाँ
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - क्षेत्रपाल बलि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधे - पुरुष सूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - श्रीसूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सूर्य सूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - रुद्र सूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - गायत्री मन्त्र
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - प्रकार २
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी
ईश्वर की कॄपा तथा दया प्राप्त करनेके लिए नित्य पूजा विधी करनी चाहिये, क्योंकी पूजा का अध्यात्म तथा धर्म से गहरा संबंध है ।
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संध्या विधी
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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तिलक धारण
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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पवित्रीधारण
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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जप-विधि
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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संध्याका समय
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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संध्यास्तुति
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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संध्योपासन-विधि
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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सूर्यार्घ्य-विधि
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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गायत्री ध्यान
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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मध्याह्न-संध्या
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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सायं-संध्या
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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गर्भाधान संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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गर्भाधान - उचित काल
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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यज्ञ विधी
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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ईश्वरोपासना
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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गृहाश्रम संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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पुसंवन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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सीमन्तोन्नयन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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जातकर्म संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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नामकरण संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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निष्क्रमण संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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अन्नप्राशन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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चूडाकरण संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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कर्णवेध संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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उपनयन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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वेदारंभ संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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समावर्तन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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विवाह संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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वानप्रस्थ संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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अंत्येष्टि संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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सोलह संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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सामान्य संस्कार विधी
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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ईश्वरोपासना
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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यज्ञकुण्ड तथा द्रव्याहुति का प्रमाण
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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विवाह होम
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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मन्त्र पठण
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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वामदेव्य गान
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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स्थान तथा काल-मान
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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उपोद्घात
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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कौमारसंहितान्तर्गत - विद्यागणपतिरहस्यम्
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय १ ला
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय २ रा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ३ रा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ४ था
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ५ वा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ६ वा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ७ वा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विधी
All main Vidhis/ procedures that you perform.
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ऋग्वेदीय अन्त्येष्टि विधी
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अन्त्येष्टि विधी - अनुक्रमणिका
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अंत्येष्टिविधिसार
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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श्मशानयात्रा
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अग्नीचें पुनः संधान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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और्द्ध्वदेहिक विधि
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अग्निप्रज्वलन ( अग्नि पेटविणें )
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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तिलांजलि
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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पहिल्या दिवसाची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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नवश्राद्धें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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नग्नप्रच्छादन व पाथेयश्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अस्थिसंचयन
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अस्थिसंचयन श्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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दुसर्या दिवसापासूनची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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दहावे दिवसाची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अकरावे दिवसाची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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वृषोत्सर्ग
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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एकोद्दिष्ट श्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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रुद्रगण श्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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वसुगण श्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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सोळा मासिक श्राद्धें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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दश दानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अष्ट दानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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उपदानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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प्रायश्चित्तधेनुदान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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पंचगोदानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अश्वदान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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शय्यादान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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भूमिदान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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पददानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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बाराव्या दिवसाची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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दुसरे पाथेयश्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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तेरावे दिवसांची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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तेरा श्रवणामान्नदानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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उदकुंभश्राद्धें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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मासिकश्राद्धें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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प्रासंगिक कृत्यें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अंत्येष्टिविधींतील कृत्यांची यादी
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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लौकिक किंवा रूढीचे विधि
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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विविध धर्मांचे अंत्येष्टिविधीं
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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कर्म विधी
कर्म विधी - Vidhi by Karma
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श्राद्ध कर्म
श्राद्ध कर्म
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गणपती पूजा
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थीच्या दिवशी मध्यान्हसमयी गणपतीपूजा करावी .
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पार्थिव गणपतीपूजा - पूजा
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थीच्या दिवशी मध्यान्हसमयी गणपतीपूजा करावी .
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गृहप्रवेश
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - गृहप्रवेश करण्यापूर्वी
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - पूजा प्रारंभ
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - गणपति पूजन
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - नवग्रह देवतांचे आवाहन
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - वरुण स्थापना
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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हरितालिका पूजा
सौभाग्यप्राप्ती , सौभाग्यवृद्धी , सुखसमृद्धी आणि ऐश्वर्य - वैभव - श्रीमंती यावी यासाठी भाद्रपद शु . ॥ तृतीयेला हे श्रीहरितालिका व्रत करावे .
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हरितालिका पूजा - पूजा
सौभाग्यप्राप्ती , सौभाग्यवृद्धी , सुखसमृद्धी आणि ऐश्वर्य - वैभव - श्रीमंती यावी यासाठी भाद्रपद शु . ॥ तृतीयेला हे श्रीहरितालिका व्रत करावे .
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हरितालिका व्रतकथा
सौभाग्यप्राप्ती , सौभाग्यवृद्धी , सुखसमृद्धी आणि ऐश्वर्य - वैभव - श्रीमंती यावी यासाठी भाद्रपद शु . ॥ तृतीयेला हे श्रीहरितालिका व्रत करावे .
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पूजा विधी
पूजा व कथाHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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लक्ष्मी सरस्वती पूजन
लक्ष्मी सरस्वती पूजन
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लक्ष्मी सरस्वती पूजन - पूजा
लक्ष्मी आणि विद्याप्राप्तिसाठी करावयाचे पूजन.
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मंगलागौरी पूजा
मंगलागौरी व्रत विवाह झालेल्या स्त्रियांनी पतीच्या आयुष्यवृद्धीसाठी पहिली पाच वर्षे श्रावण मासातील प्रत्येक मंगळवारी करावे .
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मंगलागौरी पूजा - पूजा
मंगलागौरी व्रत विवाह झालेल्या स्त्रियांनी पतीच्या आयुष्यवृद्धीसाठी पहिली पाच वर्षे श्रावण मासातील प्रत्येक मंगळवारी करावे .
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मंगलागौरी व्रतकथा
मंगलागौरी व्रत विवाह झालेल्या स्त्रियांनी पतीच्या आयुष्यवृद्धीसाठी पहिली पाच वर्षे श्रावण मासातील प्रत्येक मंगळवारी करावे .
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नवरात्र पूजा घटस्थापना
नवरात्र पूजा विधी : घटस्थापना
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माहात्म्य
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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अथ मानस पूजा
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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विजयादशमी कथा
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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देवी पूजा विधी
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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घटस्थापना
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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नवदुर्गा स्थापना
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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सायंकाळची पूजा
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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हवन विधी आणि बलिदान
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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उत्थापन आणि विसर्जन
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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नित्य विधी
दिवसाची सुरूवात मंगलमय झाल्यास दिवस शुभ जातो आणि सर्व कर्मे सुरळीत पार पडतात.
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नित्य विधी - वारांप्रमाणे नित्यविधी
दिवसाची सुरूवात मंगलमय झाल्यास दिवस शुभ जातो आणि सर्व कर्मे सुरळीत पार पडतात.
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रुद्राक्ष धारण विधी
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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रुद्राक्ष महिमा व इतिहास
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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रुद्राक्षाची महती व सामर्थ्य
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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रुद्राक्षाचे शुभाशुभ प्रकार
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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रुद्राक्षाचे मुखांप्रमाणे सामर्थ्य
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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रुद्राक्ष माला विधान
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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माला निर्माण विधी
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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रुद्राक्ष माला भावित
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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माला पूजा विधी
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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पाळावयाचे नियम
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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मंत्रजपाचे नियम
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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अंगानुसार रुद्राक्षधारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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एकमुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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द्विमुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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त्रिमुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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चतुर्मुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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पंचमुखी रुद्राक्ष धारण मन्त्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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षण्मुखी रुद्राक्ष धारण मन्त्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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सप्तमुखी रुद्राक्ष धारण मन्त्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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अष्टमुखी रुद्राक्ष धारण मन्त्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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नवमुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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दशमुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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एकादशमुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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द्वादशमुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष धारण मन्त्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष धारण मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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गायत्रीमंत्र व रुद्राक्ष-धारण
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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पंचदेव जप साधना
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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विशिष्ट शिवमंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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विष्णु-गायत्री मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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शक्तिसाधना मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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सूर्य गायत्री मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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गणपती गायत्री मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
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वटसावित्री पूजा
सौभाग्य पतीपासून प्राप्त होते म्हणून वटसावित्रीची पूजा सुवासिनी मनोभावे व श्रद्धेने करुन आपल्या पतीला उत्तम आरोग्य, दीर्घायुष्य लाभावे यासाठी हे व्रत करतात.
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पार्थिव गणपतिपूजा
पूजा व कथाHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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श्रीगणेश षोडशोपचार विशेषपूजाविधि
पूजा व कथाHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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निर्गुणमानसपूजा
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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प्रार्थनादण्डकम्
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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ज्ञानसाधन-निरूपणम्
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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परतत्त्वनिरूपणम्
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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प्राणाहुतिमन्त्राः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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वैश्वदेवमन्त्राः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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विरजाहोममन्त्राः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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पापनिवारका मन्त्राः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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त्रिसुपर्णमन्त्राः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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मृत्युनिवारणमन्त्राः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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आदित्यमण्डले परब्रह्मोपासनम्
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दहरविद्या
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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व्याहृति - होममन्त्राः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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शत्रुजयमन्त्राः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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मङ्गलश्लोकाः मङ्गलं गणनाथाय
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प्रातःस्मरणम्
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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प्रातःस्मरणश्लोकाः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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श्री परमार्थस्तुतिः
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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मङ्गलाचरणम्
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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दीपज्योतिः प्रार्थना
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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परापूजा
पूजा विधीHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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श्रीअष्टपुत्रा महालक्ष्मी पाठ
पूजा व कथाHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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विवाह विधी - आवश्यक साहित्य
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
The Vivaha is the most Important Samskar of all the Hindu rituals, for continuing their Vansh.
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वाङ्निश्चय
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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सीमान्तपूजन
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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विवाहपूर्वकृत्य
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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वराचे वधूगृही गमन
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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मधुपर्क-पूजन
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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गौरीहर-पूजा
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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कन्यादानार्थं उदकशुद्धिः
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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वधूवरांचे परस्परनिरीक्षण (विवाह)
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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कन्यादान
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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अक्षतारोपण
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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विवाहहोम
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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ऐरिणीप्रदान (झाल)
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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गृहप्रवेशनीय होम(गृहप्रवेश)
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
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सार्थ षोडशसंस्काररत्नमाला
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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संस्कार क्रम
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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संस्कारांचीं फले
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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संस्काराची परिभाषा
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पत्नी कोणत्या बाजूस असावी
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गणपति पूजनविधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पुण्याहवाचनाची कारिका
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पुण्याहवाचन प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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मातृकापूजन
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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नांदीश्राद्ध
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कर्मांगदेवता
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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मंडपदेवताप्रतिष्ठा
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कर्मविशेष अग्नींची नांवे
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कुंडमंडप वेदीलक्षण
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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यज्ञपात्रांचा आकार व त्यांची प्रमाणें
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कुंडसंस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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स्थालीपाक तंत्र
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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ग्रहयज्ञ करण्याची अवश्यकता
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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ग्रहयज्ञसंकल्प
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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आचार्यवर्ण
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पंचगव्याविधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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भूमिप्रोक्षण
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अग्न्युत्तारण
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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प्राणप्रतिष्ठा
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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ग्रहस्थापना
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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बलिदान
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पूर्णाहूती
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अभिषेक
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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श्रेयसंपादन
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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नवग्रहांची दानें
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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विनायकशांतीचा विचार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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विनायकशांति करण्याचा विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गर्भाधानसंस्कार निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गर्भाधानाच्या मुहूर्ताचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गृह्याग्नीचा पुन: संधान प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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भुवनेश्वरीशांति प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गर्भाधानसंस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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संततिजनक - विधानम्
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गर्भरक्षणाचा प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गर्भपात होण्याची कारणें
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वंध्यत्वदोष परिहार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अनपत्यत्व दोष निवारण
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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संतति वाचत नसेल तर वांचण्यास उपाय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वंध्यास्त्री पुत्रवती होण्याचा प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पुंसवन अनवलोभन व सीमंतोन्नयन संस्कारांचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पुंसवनाचा संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अनवलोभनाचा संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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सीमंतोन्नयनाचा संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गर्भिणी स्त्रीचे धर्म सांगतो
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गर्भिणी पतीचे धर्म
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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सुखाने प्रसूत होण्याचा उपाय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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जातकर्म संस्काराचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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जननशांतिसंबंधी विचार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कन्येच्या संस्काराचा विचार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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जातकर्म संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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षष्ठीदेवीची पूजा
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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नामकरण संस्काराचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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नामकरणाचा संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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बालकास पाळण्यांत घालण्याचा विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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दूध पाजण्याचा विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कर्णवेध ( कान टोचणे ) संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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बाळंतिणीनें जलपूजा करण्याचा विचार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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बालकाला दुष्टदृष्टि दोषादिक झाले असतां त्याचा रक्षाविधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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सूर्यावलोकन व निष्क्रमण संस्काराचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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सूर्यावलोकन
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कटिसूत्र बांधणे आणि भूमिवर बसविणे
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अन्नप्राशन - संस्कार - निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अन्नप्राशनाचा संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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प्रथम केशकर्तन ( जावळ ) निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वर्धापनाचा ( वाढदिवसाचा ) निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वर्धापन ( वाढदिवसाचा ) संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पुंसवनादिचौलांत संस्काराचा लोप झाला असतां प्रायश्चित्त होम
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गर्भाधानापासून अन्नप्राशनापर्यंत संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अक्षरारंभाचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अक्षरारंभ संस्काराचा विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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रजोदोषाचा विचार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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श्रीपूजनादिशांति
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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शिखा ( शेंडी ) विचार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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चौल संस्काराचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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चौलकर्म संस्कार प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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उपनयनसंस्काराचा विचार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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उपनयनसंस्काराचा निर्णय. उपनयनाचा काल
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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उपनयनाच्या पूर्वी करावयाचे
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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उपनयनाचा प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अनुप्रवचनीय होम
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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मेधाजनन
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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मंडपदेवतांचें उत्थापन ( देवदेवक उठविणें )
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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चार व्रतांच्या संस्काराचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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सांगवेदाध्यानाचा प्रकार सांगतो
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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ब्रह्मचारीव्रतलोप प्रायश्चित्ताचा प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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समावर्तन ( सोडमुंज ) संस्काराचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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समावर्तन ( सोडमुंजीचा ) संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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विवाहसंस्कार निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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विवाहाविषयीं मंडप वेदी इत्यादिकांचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वाग्दान ( वाङनिश्चय ) प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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सीमांत पूजनाचा प्रकार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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विवाहाच्या पूर्वीचें कृत्य व मंडापदेवताप्रतिष्ठादि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वरानें वधूच्या घरी प्रवेश करण्याचे विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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मधुपर्काचा विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गौरीहराची पूजा
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वधूवरांचे परस्पर निरीक्षण
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कन्यादानाचा विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अक्षतारोपण
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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विवाहहोमाचा प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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गृहप्रवेशनीय होम
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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ऐरिणी ( वंशपात्र ) दान
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वधूसह ग्रहप्रवेश व लक्ष्मीपूजन
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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देवकोत्थापन व मंडपोद्वासनाचा विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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औपासननामक सायंप्रातर्होमाचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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सायंकालीन औपासनहोमाचा प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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प्रात:कालीन औपासनहोमाविषयी विशेष
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अग्निसमारोपविधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अग्नि सिद्ध करणें
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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नववधू गृहप्रवेशाचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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द्विरागमन
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कन्यावैधव्ययोगनाशक उपायांचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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कन्येचा वैधव्ययोगपरिहार करणारे विधान
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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मृतभार्यात्व दोष जाण्यास उपाय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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दुसर्या व तिसर्या विवाहाचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अर्कविवाह प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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दत्तकग्रहण विचार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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दत्तपुत्रविधान
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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पुत्रकामेष्टि प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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नारायनबलीचा व नागबलीचा मुहूर्त निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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वीरभोजनविधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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नारायणबलि प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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नागबलि प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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सर्वप्रायश्चित्त प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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संस्कारप्रयोगांतर्गत याज्ञिकसाहित्य
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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साहित्यांतील पारिभाषिक शब्द
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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शांती विधी
Shanti Vidhi Shanti Vidhi Shanti Vidhi
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नक्षत्र जनन शांती
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.
Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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जननशांती शास्त्रार्थ
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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पूजा साहित्य
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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पंचगव्य मेलन
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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कुलदेवता, ग्रामदेवता, स्थानदेवता, संकल्प
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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महागणपती पूजनम्
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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पुण्याहवाचनम्
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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मातृका पूजनम्
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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नांदी श्राद्ध
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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आचार्य वरणम् व महिम्नः
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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मूर्तीची प्राणप्रतिष्ठा व गोप्रसव शांती
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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२४ नक्षत्रे व नक्षत्र देवता
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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आश्लेषा नक्षत्र देवता स्थापन
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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ज्येष्ठा नक्षत्र देवता स्थापन
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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नवग्रह कलश स्थापन
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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अग्निमुख / स्थंडिलकर्म
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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अन्वाधान
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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पात्रासाधनम्
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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अग्निची पूजा, होम, हवनारंभ
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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आदित्यादि नवग्रह देवता स्थापन
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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स्विष्टकृत, प्रायश्चित्ताज्य होम
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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गृह बलिदानम्
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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क्षेत्रपाल पूजनम् आणि पूर्णाहुति
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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आचार्य-विभूति धारणम्
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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यजमान कुटुंबियांवर अभिषेक
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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यजमान अग्नीची पूजा
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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पीठ दान
मूळ, आश्लेषा आणि ज्येष्ठा नक्षत्राच्या कोणत्याही चरणावर जन्मलेल्या बालकाची ब्राम्हणाकडून मंदिरात शांती करून घ्यावी.Performing yagna to the birth star will help the people to safeguard the life from worries and bad days.
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वास्तु्शांती - प्रकार २
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - साहित्य
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - पंचगव्य मेलन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - यज्ञोपवीत संस्कार
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - देवतावंदन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - संकल्प
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - स्वस्ति पुण्याहवाचन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - इध्म हवन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - विविध देवता
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - अंगहोम
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - प्रायश्चित्त होम
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - वास्तु संकल्प
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - क्षेत्रपाल बलिदान
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - पूर्णाहुति
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तुशांती - मंत्र आणि समाप्ती
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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वास्तु्शांती - प्रकार १
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात
किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti
homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific
influences are present in the house and removes the vastu doshas.
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धर्मशास्त्रीय संकेत
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
Vastushanti homam (shanti), is a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu doshas
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वास्तुशांति पूजा साहित्य
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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यज्ञोपवीत धारण विधी
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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पंचगव्य मेलन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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कुल, ग्राम, स्थानदेवता पूजन, वास्तुपूजन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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संकल्प
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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महागणपती पूजन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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पुण्याहवाचन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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मातृका पूजन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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नांदी श्राद्ध
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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आचार्य वरणम्
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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खिळे रोवण्याचे मंत्र
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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रेखा करणम्
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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मूर्तीची प्राणप्रतिष्ठा
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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शिख्यादि देवता स्थापनम्
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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चरक्यादि देवता
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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कलश स्थापन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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क्रतु देवता
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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स्थंडिलकर्म
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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यजमान संकल्प
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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इंद्रादि देवता
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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स्विष्टकृत
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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गृहबलिदानम्
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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क्षेत्रपाल पूजनम्
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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पूर्णाहुति
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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अग्नीची प्रार्थना
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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यजमान कुटुंबियांवर अभिषेक
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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अग्नीची प्रार्थना
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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स्थापित देवता विसर्जनम्
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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श्रेयः संपादनम्
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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धरा पूजन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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वास्तु प्रतिमा निक्षेप
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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गृहप्रवेश
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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पंचगव्याचे मंत्र
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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वेदोक्त वास्तुशांती
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu
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वास्तुशांती - धार्मिक महत्व
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - साहित्य
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - अथ पंचगव्य मेलनम् ।
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - यज्ञोपवीत संस्कार :
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - क्षेत्रपाल वंदन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - देवतावंदन आणि संकल्प
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - निर्विघ्नार्थं गणपतिपूजन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - मंगलार्थं स्वस्ति पुण्याहवाचन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu
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वास्तुशांती - नांदीश्राद्ध
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - स्थलशुद्धि
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - वास्तुमंडल रेषा
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वास्तुशांती - ग्रहदेवतास्थापन
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.While entering a new house, as per the Vedic tradition, a Vastushanti homam (shanti) is performed, this acts as a remedy for whatever malific influences are present in the house and removes the vastu.
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वयोवस्थाभिध शान्तिसमुच्चयः
आयुष्याचा उत्तरार्ध सुखाने पार पडावा म्हणून ५० वर्षे वयानंतर दर पाच वर्षानंतर शांती करावी.
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देवता स्तवनम् निवेदनम् च
आयुष्याचा उत्तरार्ध सुखाने पार पडावा म्हणून ५० वर्षे वयानंतर दर पाच वर्षानंतर शांती करावी.
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सर्वसामान्य विधी
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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नक्षत्र, नक्षत्रदेवता व त्यांचे नाममंत्र
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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अथ वैष्णवी - शान्तेः प्रयोगदर्शनम् ।
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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अथ वैष्णवी शान्तिः ।
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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अथ वारुणी - शान्तेः प्रयोगदर्शनम् ।
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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अथ वारुणी शान्तिः ।
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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अथ उग्ररथशान्तेर्मूलवचनानि
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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उग्ररथशान्तिकारिकाः ।
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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