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sneer
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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deride
Meanings: 7; in Dictionaries: 3
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laugh
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
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forbear
Meanings: 14; in Dictionaries: 4
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भविष्यपर्व - षोडशाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १९७
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०५ - भाग ४
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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शृङ्गारप्रवाहः - सुभाषित १३६१ - १३७०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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jest
Meanings: 11; in Dictionaries: 4
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mock
Meanings: 15; in Dictionaries: 3
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crack
Meanings: 31; in Dictionaries: 8
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भविष्यपर्व - एकोनाशीतितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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उमासहस्रम् - पञ्चविंशः स्तबकः
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. A Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas.
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help
Meanings: 22; in Dictionaries: 5
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उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः ७८
योगवासिष्ठः
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भविष्यपर्व - पञ्चदशाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः २२
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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तृतीयः स्कन्धः - अध्यायः २८
भागवत पुराणात पुढे येणार्या कलियुगात काय घडणार आहे, याबद्दलचे सविस्तर वर्णन केले आहे.
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तृतीयः स्कन्धः - अथ अष्टविंशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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विश्वामित्रसंहिता - द्वितीयोऽध्याय:
विश्वामित्रसंहिता
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विषवैद्यं - चिकित्साक्रमाधिकारं
आयुर्वेदातील विषासंबंधी एक महान ग्रंथ
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विनय पत्रिका - श्री नर नारायण स्तुति
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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इन्द्राणीसप्तशती - प्रथमं गायत्रं शतकम्
‘ इन्द्राणीसप्तशती ’ गाथेचा पाठ केल्याने इंद्राची स्तुती केल्याचे पुण्य मिळते.
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श्री नारदीयमहापुराणम् - द्विषाष्टितमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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जानकीहरणम् - द्वादशः सर्गः
'जानकीहरणम्' ह्या महाकाव्याच्या रचयिताचे नाव 'कुमारदास' होते,
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः ५५
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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उत्तर पर्व - अध्याय २०५
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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॥ अथ रसादीनां पाकलक्षणमाह ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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प्रथमः भागः - प्रकरणम् ५
भावप्रकाशसंहिता
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प्रथमः भागः - प्रकरणम् ४
भावप्रकाशसंहिता
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