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निदर्शनालंकारः - लक्षण ७
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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poison
Meanings: 23;
Dictionaries: 10;
Tags: ઉગ્રવિષ, જલદ ઝેર, હળાહળ, કાતિલ ઝેર, उग्र विष, भारी ज़हर, भारी जहर, हलाहल, खर_वीख, तीक्ष्णविषः, تیز زہر, بھاری زہر, جان لیوا زہر बिस लोंहो, बिस दौ, बिस हो, जहर देना, विष देना, जहर खिलाना-पिलाना, زَہَر_دِیُن, वीख घालप, वीश दिवप, वीश घालप, वीख दिवप, ବିଷ ଦେବା, ଜହର ପିଆଇବା, ਜਹਿਰ ਦੇਣਾ, ਜਹਿਰ ਖਿਲਾਉਣਾ-ਪਿਲਾਉਣਾ, ਵਿਸ਼ ਦੇਣਾ, زہر دینا, زہر کھلانا
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ocean
Meanings: 12;
Dictionaries: 8;
Tags: মহাসাগৰ, মহাসমুদ্র, মহোদধি, সাগৰ, সমুদ্র, लैथोमा, लैथो, सागर, મહાસાગર, મોટો સમુદ્ર, મહાર્ણવ, મહોદધિ, महासागर, महा समुद्र, महोदधि, महार्णव, सागर, समुद्र, بوٚڈ سَمَندَر, بوٚڈ سوٚدُر, سوٚدُر, سَمَنٛدَر, म्हासागर, म्हासमुद्र, दर्या, समुद्र, सागर, മഹാസമുദ്രം, മഹാസാഗരം, സാഗരം, സമുദ്രം, കടല്, ആഴി, അബ്ധി, അകൂപാരം, പാരാവരം, महासागर, समुद्र, महासागर, समुद्र, समुन्द्र, ମହାସାଗର, ମହାର୍ଣ୍ଣବ, ମହା ସମୁଦ୍ର, ମହୋଦଧି, ସାଗର, ସମୁଦ୍ର, ਮਹਾਂਸਾਗਰ, ਸਾਗਰ, ਸੁਮੰਦਰ, महासागरः, महासमुद्रः, महासिन्धुः, महोदधिः, सागरः, समुद्रः, अर्णवः, మహాసముద్రము, మహా సాగరము, గొప్పసాగరము, سمندر, بحر, دریا, قلزم, سمندر, ساگر, بحر
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शरभोपनिषत्
उपनिषद् हिन्दू धर्माचे महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ आहेत. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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शरभोपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १८
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
The Vishnu Purana is a religious Hindu text and one of eighteen Poranas.
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हाल
Meanings: 52;
Dictionaries: 13;
Tags: hālḥ, হাল, হল, હળ, हल, ನೇಗಿಲು, البٲنۍ, नांगर, കലപ്പ, हलो, ହଳ, ਹਲ, हलः, మడక, ہل, قلبہ সম্প্রতি, दाबावैसो, হাল, حال حالٕے, حال فِلحال, हालींसर, हल्लीचा काळ, ꯏꯀꯨꯏ꯭ꯀꯨꯏꯗꯔ꯭ꯤꯕ, ନିକଟ ଅତୀତ, ਹਾਲ, حال, حال فی الحال
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रसप्रकाशसुधाकरः - पंचमोऽध्याय: ।
श्रीयशोधरविरचितो रसप्रकाशसुधाकर:।
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श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १८
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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