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निसर्गतः
Meanings: 1;
Dictionaries: 1;
Tags:
Type: WORD | Rank: 0.1089763 | Lang: NA
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लजालु
Meanings: 1;
Dictionaries: 1;
Tags: লাজুক, શરમાળ, शर्मीला, ಲಜ್ಜಾಶೀಲ, حیح منٛد, लजेस्त, ലജ്ജാശീലമുള്ള, लाजाळू, ꯏꯀꯥꯏꯊꯤꯒꯟꯕ, ଲଜ୍ଜାଶୀଳ, ਸ਼ਰਮੀਲੇ, शालीन, வெட்கமான, లజ్జాశీలుడైన, شرمیلا, حیادار, غیرت مند, نیک بخت, شرماؤ, لجاؤ
Type: WORD | Rank: 0.05448815 | Lang: NA
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वस्तुतः
Meanings: 5;
Dictionaries: 5;
Tags:
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आपें
Meanings: 3;
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Tags:
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आपेंआप
Meanings: 3;
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जात्यां
Meanings: 3;
Dictionaries: 3;
Tags:
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अभंग २१
मराठीतील कांही अभंगांचे संस्कृतमध्ये भावपूर्व अनुवाद.
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खुपरा
Meanings: 7;
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Tags:
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स्वतः
Meanings: 7;
Dictionaries: 6;
Tags: নিজে, गावनो, স্বয়ং, પંડે, स्वयं से, ಸ್ವತಃ, پانے, स्वता, സ്വയം, ꯃꯁꯥꯅ, ସ୍ୱୟଂ, ਖੁਦ, स्वयम्, சுயமாக, స్వయంగా, خود, خودہی, آپ ہی, بہ نفس نفیس, خودبہ خود নিজে-নিজে, गावनो गाव, স্বতঃ, આપોઆપ, پٲنۍ پانے, आपोआप, ꯃꯁꯥ꯭ꯃꯇꯣꯝꯇ, आफैँआफ, ସ୍ୱତଃ, ਆਪਣੇ-ਆਪ, स्वयमेव, தானாகவே, خود بخود, اپنے آپ, اپنے سے, خود سے, آپ سے آپ
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उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः ६३
योगवासिष्ठः
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प्राणवहस्त्रोतस् - हृच्छृल
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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अनुहत
Meanings: 14;
Dictionaries: 2;
Tags:
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समुच्चय अलंकार - लक्षण ३
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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द्वितीयोध्यायः - सूत्र ५-६
ब्रह्मसूत्र वरील हा टीका ग्रंथ आहे. ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत.
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प्रथम पटल - लयप्रकरण ४
महायोगी आदिनाथ श्रीमहादेव विरचित " शिवसंहिता " हा ग्रंथ देवी पार्वतीने विचारलेले प्रश्न व त्या प्रश्नांना श्रीशिवांनी दिलेली उत्तरे या प्रश्नोत्तरांच्या रूपाने अवतरित झाला आहे.
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प्रथम पटल - लयप्रकरण ४
महायोगी आदिनाथ श्रीमहादेव विरचित " शिवसंहिता " हा ग्रंथ देवी पार्वतीने विचारलेले प्रश्न व त्या प्रश्नांना श्रीशिवांनी दिलेली उत्तरे या प्रश्नोत्तरांच्या रूपाने अवतरित झाला आहे.
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तृतीय पटल - सिद्धासनकथनम्
महायोगी आदिनाथ श्रीमहादेव विरचित " शिवसंहिता " हा ग्रंथ देवी पार्वतीने विचारलेले प्रश्न व त्या प्रश्नांना श्रीशिवांनी दिलेली उत्तरे या प्रश्नोत्तरांच्या रूपाने अवतरित झाला आहे.
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जात्य
Meanings: 24;
Dictionaries: 5;
Tags: jātya,
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अनादि
Meanings: 24;
Dictionaries: 9;
Tags: anādi, অনাদি, અનાદિ, ಅನಾದಿ, دٲیمی, अनादी, ആരംഭം ഇല്ലാത്ത, ꯑꯍꯧꯕ꯭ꯂꯩꯇꯕ, ଅନାଦି, ਅਨਾਦਿ, अनादि, ஆரம்பமில்லாத, మొదలులేనిది., , واحد, يكتا, ازل অনাদি, અનાદિ, अनादि, ಅನಾದಿ, دٲیمی, अनादी, ആരംഭം ഇല്ലാത്ത, ꯑꯍꯧꯕ꯭ꯂꯩꯇꯕ, ଅନାଦି, ਅਨਾਦਿ, ஆரம்பமில்லாத, మొదలులేనిది., , واحد, يكتا, ازل
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स्वभाव
Meanings: 21;
Dictionaries: 10;
Tags: স্বভাৱ, आखु, স্বভাব, સ્વભાવ, स्वभाव, ಸ್ವಭಾವ, خَصلَت, സ്വഭാവം, ਸੁਭ੍ਹਾ, स्वभावः, சுவாபம், فطرت, عادت, مزاج, صفت, قدرت, پیدائش স্বভাৱ, आखु, স্বভাব, સ્વભાવ, स्वभाव, ಸ್ವಭಾವ, خَصلَت, സ്വഭാവം, ਸੁਭ੍ਹਾ, स्वभावः, சுவாபம், فطرت, عادت, مزاج, صفت, قدرت, پیدائش স্বভাৱ, आखु, স্বভাব, સ્વભાવ, ಸ್ವಭಾವ, خَصلَت, സ്വഭാവം, स्वभाव, ਸੁਭ੍ਹਾ, स्वभावः, சுவாபம், فطرت, عادت, مزاج, صفت, قدرت, پیدائش
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गणेशस्तोत्रम् - अधुना शृणु देवस्य साधनं य...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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मेघदूत पूर्वमेघा - श्लोक ४१ ते ४५
"मेघदूत" की लोकप्रियता भारतीय साहित्य में प्राचीन काल से ही रही है।
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अंगचा
Meanings: 23;
Dictionaries: 4;
Tags:
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अनाहत
Meanings: 38;
Dictionaries: 10;
Tags: anāhata, অক্ষত, खहा जायि, আনাহত, અક્ષત, अनाहत, ಗಾಯವಾಗದ, زَخمہٕ روٚژھ, अबादीत, മുറിവേല്ക്കാതെ, ꯁꯣꯛꯍꯧꯗꯔ꯭ꯕ, ଅକ୍ଷତ, ਅਨਾਹਤ, காயமில்லாத, దెబ్బ తగలని, بے نقصان, صحیح سلامت অক্ষত, खहा जायि, আনাহত, અક્ષત, अनाहत, ಗಾಯವಾಗದ, زَخمہٕ روٚژھ, अबादीत, മുറിവേല്ക്കാതെ, ꯁꯣꯛꯍꯧꯗꯔ꯭ꯕ, ଅକ୍ଷତ, ਅਨਾਹਤ, காயமில்லாத, దెబ్బ తగలని, بے نقصان, صحیح سلامت অনাহত চক্র, અનાહત, अनाहत, അനാഹത ചക്രം, ଅନାହତ, ਅਨਾਹਤ, अनाहतम्, அனாகத்சக்கரம், అనాహత్చక్రం., غیرصدماتی دائرہ অনাহত চক্র, અનાહત, अनाहत, അനാഹത ചക്രം, ଅନାହତ, ਅਨਾਹਤ, अनाहतम्, அனாகத்சக்கரம், అనాహత్చక్రం., غیرصدماتی دائرہ অক্ষত, खहा जायि, আনাহত, અક્ષત, ಗಾಯವಾಗದ, زَخمہٕ روٚژھ, अबादीत, മുറിവേല്ക്കാതെ, अनाहत, ꯁꯣꯛꯍꯧꯗꯔ꯭ꯕ, ଅକ୍ଷତ, ਅਨਾਹਤ, காயமில்லாத, దెబ్బ తగలని, بے نقصان, صحیح سلامت অক্ষত, खहा जायि, আনাহত, અક્ષત, अनाहत, ಗಾಯವಾಗದ, زَخمہٕ روٚژھ, अबादीत, മുറിവേല്ക്കാതെ, ꯁꯣꯛꯍꯧꯗꯔ꯭ꯕ, ଅକ୍ଷତ, ਅਨਾਹਤ, காயமில்லாத, దెబ్బ తగలని, بے نقصان, صحیح سلامت
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स्वाभाविक
Meanings: 23;
Dictionaries: 10;
Tags: svābhāvika, आखुवारि, স্বভাবগত, સ્વાભાવિક, स्वाभाविक, ಸ್ವಾಭಾವಿಕ, فطرٔتی, सभावीक, സ്വതസ്സിദ്ധമായ, ସ୍ୱାଭାବିକ, ਸੁਭਾਵਿਕ, இயற்கையான, స్వాభావికమైన, فطری, مزاجی স্বাভাৱিক, गावनो-गाव, স্বাভাবিক, ಸ್ವಾಭಾವಿಕ, قدرٔتی, स्वाभावीक, സ്വാഭാവികമായ, स्वाभाविक, ꯃꯍꯧꯁꯥꯒꯤ, ସ୍ୱାଭାବିକ, ਸੁਭਾਵਿਕ, இயல்பான, స్వాభావికమైన, فطری, قدرتی, پیدائشی, خلقی স্বাভাৱিক, गावनो-गाव, স্বাভাবিক, स्वाभाविक, ಸ್ವಾಭಾವಿಕ, قدرٔتی, स्वाभावीक, സ്വാഭാവികമായ, ꯃꯍꯧꯁꯥꯒꯤ, ସ୍ୱାଭାବିକ, ਸੁਭਾਵਿਕ, இயல்பான, స్వాభావికమైన, فطری, قدرتی, پیدائشی, خلقی आखुवारि, স্বভাবগত, સ્વાભાવિક, ಸ್ವಾಭಾವಿಕ, فطرٔتی, सभावीक, സ്വതസ്സിദ്ധമായ, स्वाभाविक, ସ୍ୱାଭାବିକ, ਸੁਭਾਵਿਕ, இயற்கையான, స్వాభావికమైన, فطری, مزاجی आखुवारि, স্বভাবগত, સ્વાભાવિક, स्वाभाविक, ಸ್ವಾಭಾವಿಕ, فطرٔتی, सभावीक, സ്വതസ്സിദ്ധമായ, ସ୍ୱାଭାବିକ, ਸੁਭਾਵਿਕ, இயற்கையான, స్వాభావికమైన, فطری, مزاجی आखुवारि, স্বভাবগত, સ્વાભાવિક, स्वाभाविक, ಸ್ವಾಭಾವಿಕ, فطرٔتی, सभावीक, സ്വതസ്സിദ്ധമായ, ସ୍ୱାଭାବିକ, ਸੁਭਾਵਿਕ, இயற்கையான, స్వాభావికమైన, فطری, مزاجی স্বাভাৱিক, गावनो-गाव, স্বাভাবিক, स्वाभाविक, ಸ್ವಾಭಾವಿಕ, قدرٔتی, स्वाभावीक, സ്വാഭാവികമായ, ꯃꯍꯧꯁꯥꯒꯤ, ସ୍ୱାଭାବିକ, ਸੁਭਾਵਿਕ, இயல்பான, స్వాభావికమైన, فطری, قدرتی, پیدائشی, خلقی સ્વાભાવિક, ସ୍ୱଭାବିକ, ਮੱਧਮ, فطری, قدرتی স্বাভাৱিক, गावनो-गाव, স্বাভাবিক, स्वाभाविक, ಸ್ವಾಭಾವಿಕ, قدرٔتی, स्वाभावीक, സ്വാഭാവികമായ, ꯃꯍꯧꯁꯥꯒꯤ, ସ୍ୱାଭାବିକ, ਸੁਭਾਵਿਕ, இயல்பான, స్వాభావికమైన, فطری, قدرتی, پیدائشی, خلقی
Type: WORD | Rank: 0.01191928 | Lang: NA
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स्वेदवहस्त्रोतस - परिचय
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
Type: PAGE | Rank: 0.01021653 | Lang: NA
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अनुभूतिलेश - श्लोक १६६ ते १८०
वामन नरहरी शेष उर्फ वामन पंडित (इ.स.१६३६ ते १६९५) हे १७ व्या शतकात होऊन गेलेले प्रख्यात मराठी कवी होते
Type: PAGE | Rank: 0.01021653 | Lang: NA
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स्त्रीवर्गासंबंधाने मनुस्मृतिकाराची समजूत
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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गजाननस्तोत्रम् - देवर्षय ऊचु: ॥ विदेहरूपं...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
Type: PAGE | Rank: 0.008513774 | Lang: NA
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चतुर्थाष्टक - षष्ठोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
Type: PAGE | Rank: 0.008513774 | Lang: NA
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स्त्रीपुरुषांचे विवाहोत्तर स्वातंत्र्य
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
Type: PAGE | Rank: 0.008513774 | Lang: NA
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भगवान गोपालकृष्ण - अध्याय ७ वा
प्राचीन कवी केशवदत्त यांनी ’ गोपाल कृष्ण ’ हे उत्तम काव्य रचले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.007224177 | Lang: NA
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उत्पत्तिप्रकरणम् - सर्गः १४
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
Type: PAGE | Rank: 0.006811019 | Lang: NA
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ऐलगीता
ऐलगीता
Type: PAGE | Rank: 0.006811019 | Lang: NA
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चतुर्थाष्टक - द्वितीयोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
Type: PAGE | Rank: 0.006811019 | Lang: NA
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रघुवंश - सप्तदश: सर्ग:
महाकवी कालिदासाने ’रघुवंश ’ या महाकाव्यातील एकोणीस भागात राजा दिलीप , त्याचा पुत्र रघु , रघुचा पुत्र अज , अजचा पुत्र दशरथ , दशरथाचा पुत्र राम आणि त्याचे पुत्र लव आणि कुश यांचे चरित्र वर्णन केले आहे .
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सार्थ श्रीमहाभारतसुभाषितानि - वचन ९६१ ते ९८०
लोकांचे अज्ञान नाहींसे होऊन, त्यांना ज्ञान प्राप्त व्हावें, ह्या हेतूनें श्रीभगवान् व्यास महर्षींनी महाभारत ग्रंथ निर्माण केला.
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नाट्यशास्त्रम् - अथ षष्ठोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे .
Type: PAGE | Rank: 0.005959642 | Lang: NA
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इन्द्राणीसप्तशती - सप्तमं जागतं शतकम्
‘ इन्द्राणीसप्तशती ’ गाथेचा पाठ केल्याने इंद्राची स्तुती केल्याचे पुण्य मिळते.
Type: PAGE | Rank: 0.005959642 | Lang: NA
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॥ स्वधर्म कामधेनू ॥
प्रस्तुत ओव्या वाचत असताना साधक एका वेगळ्याच अनुभवानं भारला जातो.
Type: PAGE | Rank: 0.005959642 | Lang: NA
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उध्दवगीता - अध्याय चौदावा
उध्दवगीता
Type: PAGE | Rank: 0.005959642 | Lang: NA
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अवधूतगीता - अध्याय दुसरा
अवधूतगीता
Type: PAGE | Rank: 0.005959642 | Lang: NA
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कथा कल्पतरू - स्तबक १३ - अध्याय ६
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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बौधायनोक्त चलप्रतिष्ठा
सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.
Type: PAGE | Rank: 0.005108264 | Lang: NA
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जात
Meanings: 132;
Dictionaries: 13;
Tags: jāta, প্রজাতি, जाथि, પ્રજાતી, जाति, زٲژ, जाती, ꯃꯈꯜ, किसिम, ପ୍ରକାର, ਜਾਤੀ, జాతి, نسل, ذات വ്യക്തി, जातः નસ્લ, نَسل, ਨਸਲ, نسل জাতি, જાતિ, जाति, ಜಾತಿ, ذٲژ , قوم , قٔبیٖلہٕ, ജാതി, जात, ꯐꯨꯔꯨꯞ, ଜାତି, ਜਾਤੀ, ஜாதி, برادری, ذات, فرقہ, قوم জাতি, જાતિ, जाति, ಜಾತಿ, ذٲژ , قوم , قٔبیٖلہٕ, जात, ജാതി, ꯐꯨꯔꯨꯞ, ଜାତି, ਜਾਤੀ, ஜாதி, برادری, ذات, فرقہ, قوم জন্মা, जोनमिनाय, উত্পন্ন, જન્મેલું, जन्मा, ಹುಟ್ಟಿದ, پٲدٕ گوٚمُت, जल्मल्लें, ജനിച്ച, जन्मलेला, ꯄꯣꯛꯂꯕ, जन्मेको, ଜନ୍ମିତ, ਜੰਮਿਆ, జన్మించిన, پیداشدہ, پیدائش شدہ, ظہورپذیر, نمودار નસ્લ, نَسل, ਨਸਲ, نسل
Type: WORD | Rank: 0.005108264 | Lang: NA
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उदकवहस्त्रोतस् - अतिसार
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
Type: PAGE | Rank: 0.004423887 | Lang: NA
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प्रेमचंद की कहानियाँ - ईश्वरीय न्याय
मुन्शी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.004423887 | Lang: NA
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नैष्कर्म्यसिद्धिः - अथ प्रथमोऽध्यायः
श्रीज्ञानोत्तममिश्रविरचित नैष्कर्म्यसिद्धि ग्रंथ मनन करण्या योग्य आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.004256887 | Lang: NA
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रसवहस्त्रोतस् - पांडुरोग
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
Type: PAGE | Rank: 0.004256887 | Lang: NA
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प्राणवहस्त्रोतस् - हिक्का
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
Type: PAGE | Rank: 0.004256887 | Lang: NA