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feelingly
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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passionately
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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dve
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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सराग
Meanings: 12; in Dictionaries: 3
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तुल्ययोगिता अलंकारः - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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निषेव्
Meanings: 12; in Dictionaries: 3
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flush
Meanings: 32; in Dictionaries: 11
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feel
Meanings: 30; in Dictionaries: 6
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शृङ्गारप्रवाहः - सुभाषित १२२१ - १२४०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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colour
Meanings: 52; in Dictionaries: 13
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passion
Meanings: 26; in Dictionaries: 8
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हाव
Meanings: 24; in Dictionaries: 9
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शिवाख्यः चतुर्थाम्शः - दशमोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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हरिवल्लभाप्रकरणं
रूपगोस्वामी ह्या महान विद्वानाने रचलेला महान् ग्रंथ उज्ज्वलनीलमणिः होय.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - चतुर्थोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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रावणवध - भाग ३
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच, त्यातीलच एक काव्य म्हणजे कवी भट्टि रचित रावणवध.
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भृङ्गिकृतशिवस्तोत्रं शिवरहस्ये - स्कन्दः - हृष्टां देवीं त...
शिव हि महान शक्ति असून त्रिमूर्तींपैकी एक आहेत. विश्वाची निर्मीती ब्रह्मदेवाने केली असून नाश करण्याचे कार्य शिवाचे आहे. शिवाचे वास्तव्य कैलास पर्वतावर आहे. Shiva is one of the gods of the Trinity. He is said to be the 'god of destruction'. Shiva is married to the Goddess Parvati (Uma). Parvati represents Prakriti. Lord Shiva sits in a meditative pose on Mount Kailash against, Himalayas.
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प्रकीर्ण-काण्डः - सर्ग ३
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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समय मातृका - पञ्चमः समयः
क्षेमेंद्र के ग्रंथ समयमातृका का रचनाकाल १०५० ई है। यह एक हास्य प्रहसन का अत्युत्तम ग्रंथ है ।
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रामचरितमहाकाव्य - तृतीयः सर्गः
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच.या काव्याचे कवी आहेत, अभिनन्द.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ४५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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॥ अथ कुष्ठनिदानम् ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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समय मातृका - अष्टमः समयः
क्षेमेंद्र के ग्रंथ समयमातृका का रचनाकाल १०५० ई है। यह एक हास्य प्रहसन का अत्युत्तम ग्रंथ है ।
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शुक्रनीतिः - प्रथम अध्याय
प्रस्तुत नीति शुक्राचार्यांनी न लिहिता मूळ नीति भगवान् श्रीशंकरांनी लिहिली आहे.
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माधवनिदान - कुष्ठरोगनिदान
" शरिरेंद्रिय-सर्वात्मा संयोगधारी जीवितम् " अशी जीवनाची आयुर्वेदीय, व्यापक व्याख्या आहे.
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रक्तवहस्त्रोतस् - विसप
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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॥ अथ नेत्ररोगाणांधिकार: ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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