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showing
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seeing
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vision
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inspection
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interview
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appearance
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examination
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looking
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observation
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phase
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बृहत्संहिताः - अध्याय ८६
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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बार्हस्पत्यानि नीतिसूत्राणि - चतुर्थोऽध्यायः
`बार्हस्पत्यानि नीतिसूत्राणि' हा नितीशास्त्रासंबंधी एक अजोड ग्रंथ आहे.
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फलदीपिकाः - प्रथमोऽध्यायः
’फलदीपिका’ ग्रंथावरून ग्रहफल, नक्षत्रफल, राशीफल अचूक सांगता येते.
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view
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अध्याय २३१ - शकुनानि
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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notice
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तृतीयः स्कन्धः - अध्यायः २०
भागवत पुराणात पुढे येणार्या कलियुगात काय घडणार आहे, याबद्दलचे सविस्तर वर्णन केले आहे.
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बृहत्संहिताः - अध्याय ८७
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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तृतीयः स्कन्धः - अथ विंशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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खण्डः २ - अध्यायः १६४
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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बृहत्संहिताः - अध्याय ८५
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - दशमोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४६८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३३२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २८१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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शृङ्गारभेदप्रकरणम्
रूपगोस्वामी ह्या महान विद्वानाने रचलेला महान् ग्रंथ उज्ज्वलनीलमणिः होय.
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कृष्णभक्तिरत्नप्रकाशः - चतुर्थः प्रकाशः
भगवान श्रीकृष्ण का लीलामय जीवन अनके प्रेरणाओं व मार्गदर्शन से भरा हुआ है।
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