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आतपस्नानम्
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पादच्छदः
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muff
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अभयारण्यम्
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उत्तरप्रच्छदः
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उत्तरभारतः
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भरतपुरनगरम्
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पददारिका
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पस्सीवर्व्वूरः
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शीतकालः
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अत्युष्ण
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निद्रावस्था
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खञ्जनः
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स्वर्णिम
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और्ण
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धूमिका
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वातुल
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अध्याय २८२ - वृक्षायुर्वेदः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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वस्त्रम्
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बृहत्संहिताः - अध्याय ५४
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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अध्याय २४७ - वास्तुलक्षणम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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खण्डः २ - अध्यायः ०३०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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फल्
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भूमिबन्धो नाम द्विसप्ततितमोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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सूत्रस्थानम् - द्वितीयोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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उत्तरखण्डम् - प्रथमोऽध्यायः
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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द्वितीयः भागः - प्रकरणम् ४
भावप्रकाशसंहिता
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॥ अथ नित्यप्रकारमाह ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ३०
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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शुष्क
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पातालखण्डः - अध्यायः १२
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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कर्मविपाकसंहिता - शतभिषा नक्षत्र
कर्मविपाकसंहितासे बडी सुगमतासे लोग अपना पूर्वजन्म का वृत्तांत जान सकते है और विधिपूर्वक प्रायश्चित्त करने से अपने मनोरथों को सिद्ध कर सकते है।
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प्रथमस्थानम् - पञ्चमोऽध्यायः
हारीत संहिता, एक चिकित्साप्रधान आयुर्वेदिक ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचनाकार महर्षि हारीत होत, जे आत्रेय पुनर्वसु ऋषींचे शिष्य होते.
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त्रयोदशः पटलः - अकाराद्यक्षरक्रमेणप्रश्नफलम्
वर्णविन्यासनिर्णयकथनम्
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आचारकाण्डः - अध्यायः ११४
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५६६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः १३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४४१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३८१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३०३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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प्रथमः भागः - प्रकरणम् ५
भावप्रकाशसंहिता
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द्वितीयः भागः - प्रकरणम् ६
भावप्रकाशसंहिता
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प्रथमः भागः - प्रकरणम् ४
भावप्रकाशसंहिता
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः ५०
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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