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minaret
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steeple
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उन्नततम
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इन्द्रकीलः
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pinnacle
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dome
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turret
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spire
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vertex
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gable
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उच्चता
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pink
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peak
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अन्योक्तयः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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सतीसरोवर्णनम्
नीलमत पुराण अंदाजे सहाव्या ते आठव्या शतकातील ग्रंथ आहे, यात कश्मीरमधील इतिहास, भूगोल, धर्म आणि लोकगाथांबद्दल विपुल माहीती आहे.
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नंदकिशोर नवल - ज्योतिर्मय होऊ लागली आहेत...
अनुवादित एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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summit
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दार्दुर
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शैलवर्गः - श्लोक ८२ ते ९८
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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apex
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मयमतम् - अथ विंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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अंशुमत्काश्यपागमः - द्वितलमानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - २०१ ते २५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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height
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अंशुमत्काश्यपागमः - शिखरलक्षणपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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tip
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रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - १५१ ते २००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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नौबन्धतीर्थगताश्रमवर्णनम्
नीलमत पुराण अंदाजे सहाव्या ते आठव्या शतकातील ग्रंथ आहे, यात कश्मीरमधील इतिहास, भूगोल, धर्म आणि लोकगाथांबद्दल विपुल माहीती आहे.
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top
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pitch
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अंशुमत्काश्यपागमः - त्रितलविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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आचारकाण्डः - अध्यायः ४७
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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श्रीकूटादिषट्त्रिंशत्प्रासादलक्षणं नाम षष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते ९९
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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अंशुमत्काश्यपागमः - रुद्रभूमिविधिपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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मानसारम् - दशतलविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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वनौषधिवर्गः - श्लोक ९९ ते १४०
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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नाथोपदेशम् - मनः समाधौ परमार्थरङ्गं वि...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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अनन्वय अलंकारः - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ६६
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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अंशुमत्काश्यपागमः - एकतलविधिपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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mountain
Meanings: 7;
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crown
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खण्डः ३ - अध्यायः ०१३
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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उन्मुख
Meanings: 17;
Dictionaries: 8
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ११८
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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अंशुमत्काश्यपागमः - चतुर्भूमिविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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श्रीकूटादिषट्त्रिंशत्प्रासादलक्षणं नाम षष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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अंशुमत्काश्यपागमः - नवभूमिविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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अंशुमत्काश्यपागमः - षड्भूमिविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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