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bodement
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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augury
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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auspice
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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portent
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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शकुनम्
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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prognostic
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
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oracle
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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augur
Meanings: 6; in Dictionaries: 2
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omen
Meanings: 9; in Dictionaries: 5
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मण्डल १० - सूक्तं १२३
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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चतुर्थप्रपाठकः - तृतीया दशतिः
यज्ञ, अनुष्ठान आणि हवन संबंधीचे मन्त्र सामवेदात सांगितले आहेत. सर्व वेदांमध्ये हा सर्वात छोटा वेद आहे.
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मण्डल ९ - सूक्तं ८५
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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अध्याय २३१ - शकुनानि
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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विषवैद्यं - अभिवन्दनाधिकारं
आयुर्वेदातील विषासंबंधी एक महान ग्रंथ
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नवमप्रपाठकः - द्वितीयोऽर्द्धः
यज्ञ, अनुष्ठान आणि हवन संबंधीचे मन्त्र सामवेदात सांगितले आहेत. सर्व वेदांमध्ये हा सर्वात छोटा वेद आहे.
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खण्डः २ - अध्यायः १७६
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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अश्वमेधखण्डः - अध्यायः ४०
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ८६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ८५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अष्टादशकाण्ड: - ७१ ते ७५
पैप्पलादसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १५०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कालविलास - सर्ग ९
कालविलास हास्य प्रहसन का एक अत्युत्तम ग्रंथ है ।
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पातालखण्डः - अध्यायः १०४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १००
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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शारीरस्थान - अध्याय ६
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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नवसाहसाङ्कचरितम् - दशमः सर्गः
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच. शृङ्गारतिलक काव्याचे कवी आहेत,रुद्रभट्ट.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ५७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १५२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १०८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४३२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मानसारम् - स्तम्भलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ५०
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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अथर्ववेदः - काण्डं १८
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - त्रिस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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