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सुवर्णकारः
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तुच्छद्रव्यविक्रयी
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तैलिकः
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व्यापारिकः
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शतश्लोकी - श्लोक ८९
’शतश्लोकी’ हा गुरु-शिष्य संवादात्मक आत्मज्ञानाचा उपदेश करणारा ग्रंथ
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वृत्तिभाज्
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समवायः
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अव्यापार
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समुद्रिय
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merchandise
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speculate
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व्यापार
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impertinent
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meddle
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interfere
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वैराग्यप्रकरणम् - सर्गः ३१
योगवासिष्ठः
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मुमुक्षुवैराग्यप्रकरणम् - सर्ग एकतिसावा
‘ योगवासिष्ठ ’ एक प्राचीन ग्रंथ. Yoga Vasistha is famous as one of the historically popular and influential texts of Hinduism.
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profess
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trade
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occupy
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कर्मविपाकसंहिता - स्वाती नक्षत्र
कर्मविपाकसंहितासे बडी सुगमतासे लोग अपना पूर्वजन्म का वृत्तांत जान सकते है और विधिपूर्वक प्रायश्चित्त करने से अपने मनोरथों को सिद्ध कर सकते है।
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २१६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कर्मविपाकसंहिता - पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र
कर्मविपाकसंहितासे बडी सुगमतासे लोग अपना पूर्वजन्म का वृत्तांत जान सकते है और विधिपूर्वक प्रायश्चित्त करने से अपने मनोरथों को सिद्ध कर सकते है।
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कुमारसम्भवम् - षष्ठः सर्गः
महाकवि कालिदास रचित कुमारसंभव हे काव्य कार्तिकेयच्या जन्मासंबंधी असून, संस्कृत भाषेतील पाच महाकाव्यांपैकी एक आहे.
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सुहृद्-भेदः - आरंभः
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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द्विसत्पतितमः पटलः - कालीस्वरूपकथनम
कालीस्तवनम्
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शिवमहिमस्तोत्रम्
शिव हि महान शक्ति असून त्रिमूर्तींपैकी एक आहेत. विश्वाची निर्मीती ब्रह्मदेवाने केली असून नाश करण्याचे कार्य शिवाचे आहे. शिवाचे वास्तव्य कैलास पर्वतावर आहे.
Shiva is one of the gods of the Trinity. He is said to be the 'god of destruction'. Shiva is married to the Goddess Parvati (Uma). Parvati represents Prakriti. Lord Shiva sits in a meditative pose on Mount Kailash against, Himalayas.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ६७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ८९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३५०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्री नारदीयमहापुराणम् - त्रिषष्टितमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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पदकांड - वृत्तिसमुद्देशः ५
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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दशकुमारचरितम् - पञ्चमोच्छ्वासः
दशकुमारचरित एक गद्यकाव्य असून त्याचे कवी आहेत, दंडी.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २२३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३५२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २३०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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पदकांड - वृत्तिसमुद्देशः २
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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शृङ्गारतिलक - द्वितीय परिच्छेदः
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच. शृङ्गारतिलक काव्याचे कवी आहेत,रुद्रभट्ट.
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स्त्रीशिक्षा - प्रकरण २ रें
श्री.प.प.वासुदेवानन्दसरस्वती टेंभेस्वामी यांनी स्त्रीयांना अतिशय मार्मिक उपदेश केला आहे.
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कर्मविपाकसंहिता - अश्विनी तक्षत्र
कर्मविपाकसंहितासे बडी सुगमतासे लोग अपना पूर्वजन्म का वृत्तांत जान सकते है और विधिपूर्वक प्रायश्चित्त करने से अपने मनोरथों को सिद्ध कर सकते है।
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भोजवृत्तिः - विभूतिपादः
प्रस्तुत ग्रंथात हठ योगासंबंधी विस्तृत माहिती देण्यात आलेली आहे.
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परमेश्वरसंहिता - द्वादशोऽध्यायः
परमेश्वरसंहिता
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वेणीसंहारः - षष्ठोऽङ्कः
भट्ट नारायण संस्कृत के महान नाटककार थे। वे अपनी केवल एक कृति वेणीसंहार के द्वारा संस्कृत साहित्य में अमर हैं।
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ४७
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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स्वच्छन्दभैरवतन्त्र - चतुर्थः पटलः
स्वच्छन्दभैरवतन्त्र हे एक असे तंत्र आहे, ज्यापासून प्रत्यक्ष भैरव मदतीला उभे राहतात.
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श्री नारदीयमहापुराणम् - षट्पञ्चाशत्तमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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