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oppugnancy
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disagreeableness
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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preposterousness
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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contradistinction
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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averseness
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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repugnance
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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discrepance
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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contrariety
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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inconsistence
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incompatibility
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perverseness
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opposition
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discrepant
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repugnant
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discord
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preposterous
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inversion
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invert
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perverse
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pervert
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reverse
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difference
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contrast
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रसगंगाधरः - तिरस्कार अलंकार:
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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द्वितीयस्थानम् - तृतीयोऽध्यायः
हारीत संहिता, एक चिकित्साप्रधान आयुर्वेदिक ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचनाकार महर्षि हारीत होत, जे आत्रेय पुनर्वसु ऋषींचे शिष्य होते.
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contrary
Meanings: 13; in Dictionaries: 5
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उपशमप्रकरणम् - सर्गः ६७
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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श्रीशक्तिसङ्ग्मतन्त्रम् - पंचत्रिंशतिः पटलः ।
तंत्र शास्त्र भारताची एक प्राचीन विद्या आहे. तंत्र ग्रंथ भगवान शिवाच्या मुखातून प्रकट झाले आहेत. त्यांना पवित्र आणि प्रामाणिक मानले आहेत. Tantra shastra is a secret and most powerful science of the Indian culture and religion. It is a most powerful science which Indian Rushis have practised for centuries and still it is in practise.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १०६
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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भृगुसूत्रम् - प्रथमोऽध्यायः
‘ भृगुसूत्र’ नावे या ग्रंथात जन्मपत्रिकेचे फळ उत्तम प्रकारे अचूक कथन केले आहे.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १५९
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः ७
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २५८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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यात्राप्रकरणम् - श्लोक १४ ते ३४
अनुष्ठानप्रकाश , गौडियश्राद्धप्रकाश , जलाशयोत्सर्गप्रकाश , नित्यकर्मप्रयोगमाला , व्रतोद्यानप्रकाश , संस्कारप्रकाश हे सुद्धां ग्रंथ मुहूर्तासाठी अभासता येतात .
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मानसारम् - प्रस्तरविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १९३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३२७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कुमारखण्डः - अध्यायः १५
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ३३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नैषधीयचरितम् - सप्तदश सर्गः
महाकवि श्रीहर्षरचितं नैषधीयचरितम् हा ग्रंथ म्हणजे संस्कृत भाषेतील अतिउत्तम रचना होय.
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सूत्रस्थान - भाग ६
चरक संहिता आयुर्वेदासंबंधी एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आहे. हा ग्रंथ संस्कृत भाषेत आहे. या ग्रंथाचे उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश आणि प्रतिसंस्कारक चरक हे होत. Charaka Sanhita is believed to be the oldest Ayurvedic text on internal medicine.
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तत्वमुक्ताकलापे - बुद्धिसर:
वेदान्त देशिक उर्फ वेंकटनाथ (१२६८-१३७०) हे वैष्णव गुरू, कवि, भक्त, दार्शनिक आणि आचार्य सुद्धां होते.
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