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वृत्तिभोगी
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आजीवन वृत्तिः
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केन्द्रीयदूरसंचारमन्त्रालयः
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यायत्य
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demean
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behave
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दिवा दिवठाणीं, बाई प्रस्थानीं
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पूर्णकालिक
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endow
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collate
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pension
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portion
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अष्टादशः पटलः - वर्गे वर्गे फलकथनम्
कामचक्रसारसंकेते चतुर्वेदोल्लासः
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सत्याख्यायिका
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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deal with
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केन
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वृत्तिः
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सक्तु
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earn
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विष्णुस्मृतिः - अध्यायः ९३
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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विष्णोर्नाम गीता - भजन १
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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अभंग २७
मराठीतील कांही अभंगांचे संस्कृतमध्ये भावपूर्व अनुवाद.
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चतुर्थः पाद: - सूत्र ९
ब्रह्मसूत्र वरील हा टीका ग्रंथ आहे. ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत.
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प्रायश्चित्ताध्यायः - आपद्धर्मप्रकरणम्
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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विष्णुस्मृतिः - अध्यायः ५७
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ९ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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प्रवस्
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स्थिरता
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खण्डः २ - अध्यायः १७४
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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लुब्धाख्यायिका
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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वाराहीनिग्रहाष्टकम् - देवि! क्रोडमुखि त्वदंघ्रि...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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वाराहीनिग्रहाष्टकम् - देवि क्रोडमुखि त्वदंघ्रिक...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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वाराहीनिग्रहाष्टकम् - देवि क्रोडमुखि त्वदंघ्रिक...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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चतुर्थः पाद: - सूत्र १८-१९
ब्रह्मसूत्र वरील हा टीका ग्रंथ आहे. ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ४९ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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मानसागरी - अध्याय ४ - दशमभावफलम्
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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तेजोबिन्दूपनिषत् - प्रथमोऽध्यायः
आपल्या प्राचीन वाङ्मयामध्ये उपनिषदांना फार महत्त्वाचे, म्हणजे प्रस्थानत्रयी मधील एक, असे स्थान आहे. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas. Being the conclusive part of Vedas, Upanishad can be called the whole substance of Vedic
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वराहपुराणम् - अध्यायः ३४
'वराह पुराण' हे एक वैष्णव पुराण आहे. या पुराणातील श्लोकांत भगवानांच्या वराह अवतारातील धर्मोपदेश कथांच्या रूपात प्रस्तुत केलेला आहे.
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द्वितीयप्रश्ने - दशमोऽध्यायः
‘ गौतमीयधर्मशास्त्रेः ’ या ग्रंथात गौतमऋषींनी कथन केलेली धर्मसूत्रे आहेत.
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वैराग्यप्रकरणम् - सर्गः १६
योगवासिष्ठः
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०५ - भाग ४
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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नीतिशतकम् - श्लोक ४१ ते ५०
'भर्तृहरि’कॄत नीतिशतक वाचल्याने नीतिमत्तेचे धडे मिळतात.
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वैराग्यशतकम् - अवधूतचर्या
'वैराग्यशतकम्’ काव्यात कवी भर्तृहरिने आयुष्यातील वैराग्य जीवनाचे वर्णन केले आहे.
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समासोक्ति अलंकारः - लक्षण १०
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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वैराग्यशतकम् - याञ्चादैन्यदूषणम्
'वैराग्यशतकम्’ काव्यात कवी भर्तृहरिने आयुष्यातील वैराग्य जीवनाचे वर्णन केले आहे.
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चतुर्थं ब्राम्हणम् - भाष्यं २६
सदर ग्रंथाचे लेखक विष्णुशास्त्री वामन बापट (जन्म: पाऊनवल्ली-राजापूर तालुका, रत्नागिरी जिल्हा, मे २२, इ.स. १८७१; मृत्यू : डिसेंबर २०, इ.स. १९३२) हे महाराष्ट्रातील एक शांकरमतानुयायी अद्वैती, प्राचीन संस्कृत वाङ्मयाचे भाषांतरकार आणि भाष्यकार होते.
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प्रथमोध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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मुमुक्षुवैराग्यप्रकरणम् - सर्ग सोळावा
‘ योगवासिष्ठ ’ एक प्राचीन ग्रंथ. Yoga Vasistha is famous as one of the historically popular and influential texts of Hinduism.
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तृतीयः स्कन्धः - अध्यायः ६
भागवत पुराणात पुढे येणार्या कलियुगात काय घडणार आहे, याबद्दलचे सविस्तर वर्णन केले आहे.
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उत्तर पर्व - अध्याय १७४
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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