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abstractedly
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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solitarily
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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seclusion
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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seclude
Meanings: 8; in Dictionaries: 2
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loneliness
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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privately
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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lone
Meanings: 10; in Dictionaries: 4
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analyze
Meanings: 5; in Dictionaries: 2
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एकनाथी भागवत - श्लोक ९ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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उपलिप्
Meanings: 5; in Dictionaries: 2
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recess
Meanings: 19; in Dictionaries: 12
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सर्ववेदसारसंग्रहः - प्रत्यगात्मन्
' सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रहः' यात सर्व वेदांतील सार सोप्या भाषेत कथन केले असून, वेद वाचल्याचा आनंद मिळतो.
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apart
Meanings: 9; in Dictionaries: 4
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abstract
Meanings: 74; in Dictionaries: 21
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पंचमः स्कन्धः - अथ सप्तमोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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सर्ववेदसारसंग्रहः - चतुर्विधं भूतजातम्
' सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रहः' यात सर्व वेदांतील सार सोप्या भाषेत कथन केले असून, वेद वाचल्याचा आनंद मिळतो.
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solitary
Meanings: 21; in Dictionaries: 9
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उपशमप्रकरणम् - सर्गः ४
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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retire
Meanings: 29; in Dictionaries: 8
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विविक्त
Meanings: 45; in Dictionaries: 7
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private
Meanings: 23; in Dictionaries: 8
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public
Meanings: 53; in Dictionaries: 12
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मुमुक्षुव्यवहारप्रकरणम् - सर्गः १४
योगवासिष्ठः
Type: PAGE | Rank: 0.009120055 | Lang: NA
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उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः ५८
योगवासिष्ठः
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विष्णुपर्व - पञ्चषष्टितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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विष्णुपर्व - एकचत्वारिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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सर्ववेदसारसंग्रहः - कुमत खण्डनम्
' सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रहः' यात सर्व वेदांतील सार सोप्या भाषेत कथन केले असून, वेद वाचल्याचा आनंद मिळतो.
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किरातार्जुनीयम् - प्रसंग ९
'किरातार्जुनीयम्' प्रसिद्ध प्राचीन संस्कृत ग्रंथांपैकी एक होय. या काव्याचे रचनाकार महाकवि भारवी होत. किरातरूपधारी शिव आणि पांडु पुत्र अर्जुन यांच्यातील धनुर्युद्ध आणि वार्तालाप यावर आधारित हे काव्य आहे.
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नैष्कर्म्यसिद्धिः - अथ चतुर्थोऽध्यायः
श्रीज्ञानोत्तममिश्रविरचित नैष्कर्म्यसिद्धि ग्रंथ मनन करण्या योग्य आहे.
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सुभाषितरत्नकोशः - हरिव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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विष्णुपर्व - अष्टात्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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चतुर्थः स्कन्धः - अथ चतुर्विशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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कूर्मपुराणः - द्वाविंशोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ११४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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विष्णुपर्व - पञ्चत्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ६४
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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विष्णुपर्व - एकोनविंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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उपदेशसाहस्री - उपदेश १८
भारतीय संस्कृतिच्या विकासात आद्य शंकराचार्यांचे विशेष योगदान आहे.
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परमेश्वरसंहिता - सप्तमोऽध्यायः
परमेश्वरसंहिता
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मनुस्मृतिः - तृतीयोध्यायः
मनुस्मृती हे धर्मशास्त्र आहे. वर्णधर्म, आश्रमधर्म, वर्णाश्रमधर्म, राजधर्म, व्यवहारनिर्णय, स्त्रीधर्म व पुरूषधर्म यांच्या या स्मृतीमध्ये व्याख्या सांगून त्यांची निष्कृती कोणत्या उपायांनी करावी हे सुचविले आहे.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः ३४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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प्राणवहस्त्रोतस् - हृद्रोग
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - त्रिस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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