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nakedly
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पंच वकार
Meanings: 5; in Dictionaries: 1
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blindfold
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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आलावर्तः
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hoodwink
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ककुत्सल
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शोधनम्
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muffle
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आपीडय
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पंचवकार
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परिमृज्
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attire
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चतुर्थस्थानम् - षष्ठोऽध्यायः
हारीत संहिता, एक चिकित्साप्रधान आयुर्वेदिक ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचनाकार महर्षि हारीत होत, जे आत्रेय पुनर्वसु ऋषींचे शिष्य होते.
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अखण्डित
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आच्छद्
Meanings: 11; in Dictionaries: 3
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अध्याय १९१ - त्रयोदशी व्रतानि
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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॥ अथ वङ्गम् ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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गृहवास्तुप्रकरणम् - तत्रादौ गृहारंभे शिलान्यासविधिः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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अथ क्रियापादः - नवनैवेद्य विधि पटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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cloth
Meanings: 11; in Dictionaries: 4
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क्रियापदः - नवनैवेद्य विधि पटलः
सुप्रभेदागमः
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श्रीगुरूदत्त योगः - शक्तिचालन
श्रीगुरूदत्तांनी जगाला योगशास्त्र दिले.
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वस्त्रम्
Meanings: 26; in Dictionaries: 2
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प्रथमांशुः - अर्कविवाहः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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रसहृदयतंत्र - अध्याय ६
प्रसिद्ध रसायनशास्त्री श्री गोविन्द भगवतपाद जो शंकराचार्य के गुरु थे, द्वारा रचित ‘रसहृदयतन्त्र' ग्रंथ काफी लोकप्रिय है।
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विश्वक्सेनासंहिता - त्रयस्त्रिंशोऽध्याय:
विश्वक्सेनासंहिता
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blind
Meanings: 30; in Dictionaries: 9
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द्वितीयोऽध्याय: - श्लोक १ ते २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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array
Meanings: 37; in Dictionaries: 16
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रसरत्नसमुच्चय - अध्याय १८
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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रसप्रकाशसुधाकरः - द्वितीयोऽध्याय: ।
श्रीयशोधरविरचितो रसप्रकाशसुधाकर:।
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श्री नारदीयमहापुराणम् - अष्टादशोऽध्यायः
नारदपुराणात शिक्षण, कल्प, व्याकरण, छन्द शास्त्राचे आणि परमेश्वराच्या उपासनेचे विस्तृत वर्णन आहे.
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रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय २
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
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सुप्रभेदागमः - आदित्यस्थापनविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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अथ क्रियापादः - आदित्यस्थापनविधिपटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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अथान्त्येष्टिप्रयोगः - धनिष्ठापंचक - त्रिपान्नक्षत्र - मरणविधिः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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चित्रदीपः - श्लोक १ ते २०
'सार्थपंचदश्याम्' या ग्रंथात श्रीशंकराचार्यांनी मानवाच्या आयुष्यातील तत्वज्ञान सोप्या भाषेत विशद केले आहे.
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उत्तरखण्डम् - द्वितीयोऽध्यायः
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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dress
Meanings: 25; in Dictionaries: 5
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तृतीयः भागः - विद्रध्यधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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यक्षिणी साधना - भूतिनी यक्षिणी साधन
भगवान शिव ने लंकापती रावण को जो तंत्रज्ञान दिया , उसमेंसे ये साधनाएं शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है ।
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अध्याय ३११ - त्वरितामूलमन्त्रादिः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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विष्णुस्मृतिः - अध्यायः २३
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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विश्वेश्वरसंहिता - अध्याय १४ वा
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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रसरत्नाकर - प्रकरण २.५
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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खण्डः २ - अध्यायः ०३५
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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अनिरुद्धसंहिता - सप्तदशोऽध्यायः
अनिरुद्धसंहिता
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रसविद्या - भाग १६
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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योगकुण्डल्युपनिषत् - द्वितीयोऽध्यायः
उपनिषद् हिन्दू धर्माचे महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ आहेत. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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चतुर्थः भागः - नासारोगाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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