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व्याघ्रास्या
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संवाददातृसम्मेलनम्
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Tags: প্রেস সম্মেলন, પત્રકાર પરિષદ, पत्रकार सम्मेलन, ಪತ್ರಿಕಾ ಸಂದರ್ಶನ, پرس کانٛفرنس, वृत्त परिशद, ପ୍ରେସ୍ ସମ୍ମିଳନ, ਪ੍ਰੈੱਸ ਸੰਮੇਲਨ
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ससंदेहालंकारः - लक्षण ११
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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Tags: rasagangadhar रसगंगाधर व्याकरण संस्कृत grammer
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वक्त्र
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एकाक्षरोपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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Tags: upanishad वेद ved यजुर्वेद उपनिषद
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आठ अक्षरी वृत्तें - अनुष्टुप्
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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Tags: वृत्त व्याकरण मराठी marathi grammer
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अध्याय ५१ वा - श्लोक ४१ ते ४५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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षष्ठाष्टक - सप्तमोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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Tags: दत्त गुरूदत्त वासुदेवानंदसरस्वती datta gurudatta vasudevanand saraswati
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युद्धखण्डः - अध्यायः २०
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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Tags: शिव पुराण पुराण shiv puran puran sanskrit संस्कृत
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पंचदशोध्यायः
विश्वकर्मकृतायां वास्तुशास्त्रे वास्तुविद्या
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श्रीहरिवंशमाहात्म्यम् - द्वितीयोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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अध्याय ५० वा - श्लोक ३६ ते ४०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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रसगंगाधरः - काव्यलिंग अलंकार:
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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उत्तरस्थान - अध्याय ३१
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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समय मातृका - पञ्चमः समयः
क्षेमेंद्र के ग्रंथ समयमातृका का रचनाकाल १०५० ई है। यह एक हास्य प्रहसन का अत्युत्तम ग्रंथ है ।
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अध्याय ४५ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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समय मातृका - सप्तमः समयः
क्षेमेंद्र के ग्रंथ समयमातृका का रचनाकाल १०५० ई है। यह एक हास्य प्रहसन का अत्युत्तम ग्रंथ है ।
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अध्याय २ रा - श्लोक २६
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ६६ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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माहात्म्य - षष्ठोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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सूत्रस्थान - अध्याय २६
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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चमत्कारचन्द्रिका - षष्ठो विलासः
श्रीहरिची माला आणि श्रीराधाचा मुक्ताहार यांची ही कथा आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय १७
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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प्रसन्न काण्ड: - सर्ग १३
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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Tags: poem काव्य भट्टिकाव्य संस्कृत
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कथाकल्पतरू - स्तबक ३ - अध्याय १३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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शृङ्गारतिलक - प्रथमः परिच्छेदः
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच. शृङ्गारतिलक काव्याचे कवी आहेत,रुद्रभट्ट.
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चमत्कारचन्द्रिका - प्रथमो विलासः
श्रीहरिची माला आणि श्रीराधाचा मुक्ताहार यांची ही कथा आहे.
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