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आन्त्रीय
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गलाङ्कुरीय
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अलोहितः
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जीवाण्विक
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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अनुबन्धः
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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मुक्तिः
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disease
Meanings: 24; in Dictionaries: 13
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afflict
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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आनुवंशिक
Meanings: 7; in Dictionaries: 6
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मानसागरी - अध्याय ३ - अष्टमभावस्थराशिफलम्
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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infect
Meanings: 11; in Dictionaries: 4
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मानसागरी - अध्याय १ - भौमभावाध्यायः
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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ओष्ठ्य
Meanings: 15; in Dictionaries: 5
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महामारी
Meanings: 15; in Dictionaries: 8
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श्वि
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १७९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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भिक्षाटनकाव्यम् - द्वादशी पद्धतिः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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असाधारण
Meanings: 27; in Dictionaries: 11
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मानसिक
Meanings: 21; in Dictionaries: 9
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खण्डः ३ - अध्यायः २७०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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भक्तिरसायनम् - प्रथमोल्लासः
भगवान श्रीकृष्ण विष्णुचा आठवा अवतार आहे. श्रीकृष्णाचा अवतार पूर्ण अवतार समजतात. Lord Krishna is the eighth and the most popular incarnation of Lord Vishnu.
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पराशरस्मृतिः - सप्तमोध्यायः
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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अश्वमेधखण्डः - अध्यायः ३२
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः १०५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ७२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ५३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः २१७
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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भूमिखंडः - अध्यायः ४७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः ६१
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १८१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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ध्यानबिन्दूपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २१२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २०१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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योगचूडामण्युपनिषत्
उपनिषद् हिन्दू धर्माचे महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ आहेत. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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गोरक्ष-शतकम् -२
प्रस्तुत ग्रंथात हठ योगासंबंधी विस्तृत माहिती देण्यात आलेली आहे.
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योगचूडामण्युपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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उत्तर पर्व - अध्याय २०५
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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चिकित्सास्थान - रसायनाध्याय १
चरक संहिता आयुर्वेदासंबंधी एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आहे. हा ग्रंथ संस्कृत भाषेत आहे. या ग्रंथाचे उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश आणि प्रतिसंस्कारक चरक हे होत. Charaka Sanhita is believed to be the oldest Ayurvedic text on internal medicine.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४०८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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हठयोगप्रदीपिका - तृतीयोपदेशः
प्रस्तुत ग्रंथात हठ योगासंबंधी विस्तृत माहिती देण्यात आलेली आहे.
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शार्ङ्गधरसंहिता - प्रथमं परिशिष्टम्
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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