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decapitate
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
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वीरभद्रः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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guillotine
Meanings: 11; in Dictionaries: 6
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behead
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
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शनैः शनैः
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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brain
Meanings: 18; in Dictionaries: 9
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गणेशः
Meanings: 5; in Dictionaries: 1
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नतमस्तक
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
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शनैः
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
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nod
Meanings: 7; in Dictionaries: 3
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top
Meanings: 26; in Dictionaries: 8
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apex
Meanings: 33; in Dictionaries: 17
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खण्डः ३ - अध्यायः ०६९
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १०४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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ढुण्ढिस्वरूपवर्णनस्तोत्रम् - जैमिनिरुवाच । न वक्तुं श...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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duck
Meanings: 12; in Dictionaries: 4
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नवग्रह स्तोत्र - जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं...
मनुष्य आपल्या पूर्व जन्मींच्या कर्मानुसार हा जन्म भोगत असतो, पण या जन्मीच्या सर्व पीडा नवग्रहांच्या पूजा अर्चा करून जीवन सुखमय बनवू शकतो.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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knock
Meanings: 23; in Dictionaries: 7
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भक्तांनीं केलेल्या कविता - इत्यंष्टकं
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४२३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वादशोऽध्यायः - श्लोक १ ते २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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मानसारम् - पञ्चतलविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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गणेशकवचम् - ध्यायेत् सिंहगतं विनायकमम...
‘कवच‘ स्तोत्राचे पठण केल्याने देवी/देवता अदृष्य रूपात उपासकांना सुरक्षात्मक कवच प्रदान करतात.
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crown
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द्वादशोऽध्यायः - श्लोक २१ ते ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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tip
Meanings: 23; in Dictionaries: 8
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head
Meanings: 57; in Dictionaries: 17
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श्रीनृसिंहार्चनपद्धतिः - पद्धतिः ७
उपासना विभागातील मंत्र सिद्ध केल्यास त्याची प्रचिती लगेचच मिळते.
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ब्रह्मानन्दे योगानन्दः - श्लोक ८१ ते १००
'सार्थपंचदश्याम्' या ग्रंथात श्रीशंकराचार्यांनी मानवाच्या आयुष्यातील तत्वज्ञान सोप्या भाषेत विशद केले आहे.
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अंशुमत्काश्यपागमः - सप्तभूमिविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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गणेशकवचम् - ॥ गौर्युवाच ॥ एषोऽतिचपलो...
गणेशकवचम् Ganesh Kavacham is a type of Ganesh Stotra
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १०६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ५३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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श्रीराधाकवचम् - महेश्वर उवाच । श्रीजगन्...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते.
In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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हनुमत् कवचम् - श्री रामचन्द्र ऋषिः । श्र...
रोज कवच स्तोत्राची पठण केल्याने जीवन सुरक्षित बनते.
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बृहज्जाबालोपनिषत् - तृतीयं ब्राह्मणम्
आपल्या प्राचीन वाङ्मयामध्ये उपनिषदांना फार महत्त्वाचे, म्हणजे प्रस्थानत्रयी मधील एक, असे स्थान आहे. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas. Being the conclusive part of Vedas, Upanishad can be called the whole substance of Vedic
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ब्रह्मखण्डः - अध्यायः १४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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तृतीयस्थानम् - षट्पञ्चाशत्तमोऽध्यायः
हारीत संहिता, एक चिकित्साप्रधान आयुर्वेदिक ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचनाकार महर्षि हारीत होत, जे आत्रेय पुनर्वसु ऋषींचे शिष्य होते.
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dash
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प्रथमैकरात्रः - नवमोऽध्यायः
‘श्रीनारदपञ्चरात्रम‘ हा ग्रंथ वाचल्याने सामान्यज्ञानात भर पडते.
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मयमतम् - अथ एकविंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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मयमतम् - अथ द्वाविंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्री नारदीयमहापुराणम् - अष्टसप्ततितमोऽध्याय
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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प्रथम खण्डः - द्विचत्वारिंशत्तमोऽध्यायः
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे.
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अथ आचार्यादीनां मधुपर्कार्चनप्रयोगः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा । वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥ अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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मेर्वादिषोडशप्रासादादिलक्षणं नाम पञ्चपञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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मथुराखण्डः - अध्यायः ०५
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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अंशुमत्काश्यपागमः - चतुर्भूमिविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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