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पलवः
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angler
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महाजालम्
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धीवरः
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वञ्जुलकः
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शल्कम्
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बकः
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निर्णुद्
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crimp
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भृज्
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ध्वाङ्क्ष
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संधिः - कथा ६
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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संधिः - कथा ५
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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hook
Meanings: 28; in Dictionaries: 13
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angle
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fish
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catch
Meanings: 25; in Dictionaries: 5
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संधिः - कथा ४
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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सार्थ श्रीमहाभारतसुभाषितानि - वचन ४६१ ते ४८०
लोकांचे अज्ञान नाहींसे होऊन, त्यांना ज्ञान प्राप्त व्हावें, ह्या हेतूनें श्रीभगवान् व्यास महर्षींनी महाभारत ग्रंथ निर्माण केला.
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अध्याय १७ वा - श्लोक ९ ते १४
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५४९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १२१
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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चिकित्सास्थानम् - दशमोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १५६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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हठयोगप्रदीपिका - प्रथमोपदेशः
प्रस्तुत ग्रंथात हठ योगासंबंधी विस्तृत माहिती देण्यात आलेली आहे.
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मनुस्मृतिः - प्रथमोध्यायः
मनुस्मृती हे धर्मशास्त्र आहे. वर्णधर्म, आश्रमधर्म, वर्णाश्रमधर्म, राजधर्म, व्यवहारनिर्णय, स्त्रीधर्म व पुरूषधर्म यांच्या या स्मृतीमध्ये व्याख्या सांगून त्यांची निष्कृती कोणत्या उपायांनी करावी हे सुचविले आहे.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १४४
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १८८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५४८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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चिकित्सास्थान - वाजीकरणाध्याय ४
चरक संहिता आयुर्वेदासंबंधी एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आहे. हा ग्रंथ संस्कृत भाषेत आहे. या ग्रंथाचे उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश आणि प्रतिसंस्कारक चरक हे होत. Charaka Sanhita is believed to be the oldest Ayurvedic text on internal medicine.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३४८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २३०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मनुस्मृतिः - पञ्चमोऽध्यायः
मनुस्मृती हे धर्मशास्त्र आहे. वर्णधर्म, आश्रमधर्म, वर्णाश्रमधर्म, राजधर्म, व्यवहारनिर्णय, स्त्रीधर्म व पुरूषधर्म यांच्या या स्मृतीमध्ये व्याख्या सांगून त्यांची निष्कृती कोणत्या उपायांनी करावी हे सुचविले आहे.
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सूत्रस्थान - भाग ४
चरक संहिता आयुर्वेदासंबंधी एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आहे. हा ग्रंथ संस्कृत भाषेत आहे. या ग्रंथाचे उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश आणि प्रतिसंस्कारक चरक हे होत. Charaka Sanhita is believed to be the oldest Ayurvedic text on internal medicine.
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मनुस्मृतिः - चतुर्थोध्यायः
मनुस्मृती हे धर्मशास्त्र आहे. वर्णधर्म, आश्रमधर्म, वर्णाश्रमधर्म, राजधर्म, व्यवहारनिर्णय, स्त्रीधर्म व पुरूषधर्म यांच्या या स्मृतीमध्ये व्याख्या सांगून त्यांची निष्कृती कोणत्या उपायांनी करावी हे सुचविले आहे.
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पाद ३ - खण्ड ३९
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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रक्तवहस्त्रोतस् - कुष्ठ
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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शार्ङ्गधरसंहिता - द्वितीयं परिशिष्टम्
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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पाद २ - खण्ड १२
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ४५
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ४ - खण्ड ४१
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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