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चतुर्विंशः पटलः - शवसाधनाफलश्रुतिकथनम्
योगविद्यासाधनम्
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floor
Meanings: 17; in Dictionaries: 7
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surface
Meanings: 21; in Dictionaries: 13
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चतुर्थपरिच्छेदः - परिच्छेदः ८
श्री १००८ श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्य-योगीन्द्रवर्य-श्रीआत्मानन्दसर स्वतीस्वामिभिंर्विरचितः ।
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bare
Meanings: 14; in Dictionaries: 4
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मानसारम् - भूपरीक्षाविधानम्
'मानसारम्' वास्तुशास्त्रावरील एक प्राचीन ग्रंथ आहे.
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ground
Meanings: 45; in Dictionaries: 13
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स्थितिप्रकरणम् - सर्गः ४९
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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खण्डः १ - अध्यायः ०७५
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः ८
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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खण्डः १ - अध्यायः ०२४
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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प्रथम खण्डः - चतुर्विंशतितमोऽध्यायः
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे.
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कालविलास - सर्ग ७
कालविलास हास्य प्रहसन का एक अत्युत्तम ग्रंथ है ।
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earth
Meanings: 35; in Dictionaries: 11
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स्थितिप्रकरणम् - सर्गः २६
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अंशुमत्काश्यपागमः - नागरादिविधिपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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face
Meanings: 58; in Dictionaries: 19
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रसहृदयतंत्र - अध्याय १
प्रसिद्ध रसायनशास्त्री श्री गोविन्द भगवतपाद जो शंकराचार्य के गुरु थे, द्वारा रचित ‘रसहृदयतन्त्र' ग्रंथ काफी लोकप्रिय है।
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खण्डः २ - अध्यायः ०३१
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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श्यामलादण्डकम् - माणिक्यवीणामुपलालयन्तीं म...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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उत्पत्तिप्रकरणम् - सर्गः २८
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय ७
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
The Vishnu Purana is a religious Hindu text and one of eighteen Poranas.
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श्यामला दण्डकम् - ॥ध्यानम् ॥ माणिक्यवीणामु...
सती पार्वतीची दहा रूपे - काली, तारा, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुर सुंदरी, मातंगी, षोड़शी आणि भैरवी.
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गिरिराजखण्डः - अध्यायः ०३
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १०७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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पातालखण्डः - अध्यायः २४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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क्रिया कैरव चन्द्रिका - द्वितीयः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः १४५
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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मार्कण्डेयपुराणम् - विंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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मयमतम् - अथ चतुर्दशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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उड्डामरेश्वरतन्त्र - पञ्चदशः पटलः
‘उड्डामरेश्वरतन्त्र ’ हे तंत्रशास्त्रातील अत्यंत दुर्मिल आणि गुप्त तंत्र आहे, साधक याचा उपयोग अतिशय निर्वाणीच्या क्षणी करतात.
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श्रीशक्तिसङ्ग्मतन्त्रम् - सप्तषष्टिः पटलः ।
तंत्र शास्त्र भारताची एक प्राचीन विद्या आहे. तंत्र ग्रंथ भगवान शिवाच्या मुखातून प्रकट झाले आहेत. त्यांना पवित्र आणि प्रामाणिक मानले आहेत. Tantra shastra is a secret and most powerful science of the Indian culture and religion. It is a most powerful science which Indian Rushis have practised for centuries and still it is in practise.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः २
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः १०८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ७२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ७३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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क्रिया कैरव चन्द्रिका - दशमः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५१४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अंशुमत्काश्यपागमः - कर्षणविधिपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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अंशुमत्काश्यपागमः - त्रितलविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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रसरत्नसमुच्चय - अध्याय १
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १६८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २५२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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प्रथमपरिच्छेदः - एकादशोऽध्यायः
प्रकाशसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १८५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः १०९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १०३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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