बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ८
` बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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Tags: इन्, ইঞ্চি, इन्सि, इनसि, ইন্ডিয়ানা, হুইসার স্টেট, আই এন, इंच, इञ्च, इंडियम, इंडियाना, हूज़र स्टेट, इन, اِنٛچ, इंच, इंडियम, इंडियाना, हूयसर स्टेट, इन, इंच, इंडिअम, इंडियाना, इन्च, इञ्च, ଇଁଚ|, అంగుళము, ఇంచు, انچ শাসনাধিষ্ঠ, मोन्थायगोनां, मोन्थाय थानाय, सत्तारूढ़, सत्ताधारी, منتخب, اِنٛتِخاب کَرنہٕ آمُت, ژورمُت, सत्ताधारी, അധികാരത്തിലേറിയ, सत्तारूढ, सत्तारूढ, सत्ताधारी, सत्तारुढ, ସତ୍ତାରୂଢ, ସତ୍ତାଧାରୀ|, ਸੱਤਾਧਾਰੀ, حاکم, حکمراں ভিতৰলৈ, ভিতৰত, অভ্যন্তৰত, सिङाव, ভিতরে, অন্তরে, অন্দরে, অভ্যন্তরে, अंदर, अन्दर, भीतर, منٛزاَنٛدَر, भितर, അകത്ത്, ഉള്ളില്, आत, आत, भित्र, अभ्यन्तर, ଭିତର, ਅੰਦਰ, ਭੀਤਰ, अन्तः, अभ्यन्तरम्, లోపల, లోన, లో, اندر, درون, اندرون, بھیتر
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मण्डल ८ - सूक्तं १३
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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इन्द्र ध्वजनिरूपणं नाम सप्तदशोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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अध्याय ३५१ - सुब्विभक्तिसिद्धरूपम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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अध्याय ९६ - अधिवासनविधिः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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उत्तर खंड - देहांक उत्पन्ननाम
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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मानसारम् - स्तम्भलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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