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levigation
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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corn-mill
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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mill-stone
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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comminution
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
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श्लक्ष्णयन्त्रम्
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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attrition
Meanings: 10; in Dictionaries: 7
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mastication
Meanings: 8; in Dictionaries: 7
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pounding
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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grinding
Meanings: 11; in Dictionaries: 8
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grindstone
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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kneading
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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muller
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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तक्षणी
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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grind
Meanings: 16; in Dictionaries: 6
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comminute
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
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batter
Meanings: 13; in Dictionaries: 6
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battery
Meanings: 26; in Dictionaries: 12
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चूर्णित
Meanings: 11; in Dictionaries: 5
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चतुर्थः पाद: - सूत्र २७
ब्रह्मसूत्र वरील हा टीका ग्रंथ आहे. ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत.
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grinder
Meanings: 22; in Dictionaries: 11
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mill
Meanings: 52; in Dictionaries: 12
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pound
Meanings: 21; in Dictionaries: 9
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अंशुमत्काश्यपागमः - वर्णलेपनक्रमपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ.
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व्रतोद्यापन प्रयोगः - पूजा भाग १९
व्रत केल्यावर त्याचे उद्यापन पूर्ण झाल्याशिवाय फळ मिळत नाही , म्हणून उद्यापनांच्या प्रयोगांचा संग्रह . व्रत उद्यापनाने यजमानाची कर्मपूर्ति होते .
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रसरत्नसमुच्चय - अध्याय ८
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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रसविद्या - भाग २५
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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रसप्रकाशसुधाकरः - चतुर्थोऽध्याय: ।
श्रीयशोधरविरचितो रसप्रकाशसुधाकर:।
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २२६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय ५
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
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रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय ४
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
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रसप्रकाशसुधाकरः - पंचमोऽध्याय: ।
श्रीयशोधरविरचितो रसप्रकाशसुधाकर:।
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रसविद्या - भाग १
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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रसरत्नसमुच्चय - अध्याय ५
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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नाट्यशास्त्रम् - अथ नवमोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे .
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