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देवृजाया
Meanings: 1;
Dictionaries: 1;
Tags: জেশাহু, बिजावजालि गेदेर, বড়ো যা, જેઠાણી, जेठानी, ಓರಗಿತ್ತಿ, دٕرٕکاکٕنۍ, व्हडली जाव, ഭർത്താവിന്റെ മൂത്ത സഹോദരന്റെ ഭാര്യ, मोठी जाऊ, ꯃꯆꯦꯝ꯭ꯏꯕꯦꯝꯃ, ବଡ଼ ଯାଆ, ਜਠਾਣੀ, ஓப்படியாள். ஓரக்கத்தி, పెద్దతోడికోడలు, جیٹھانی
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देवा
Meanings: 3;
Dictionaries: 3;
Tags: দেওৰ, बिबोनां-हौवा, দেওর, દિયર, देवर, ಮೈದುನ, ഇളയഭർതൃസഹോദരന്, लहान दीर, ଦିଅର, ਦਿਉਰ, கொழுந்தன், మరిది, دیور, حَمو, شوہرکاچھوٹابھائی
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निक
Meanings: 2;
Dictionaries: 2;
Tags:
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धनधर्मन्
Meanings: 3;
Dictionaries: 2;
Tags:
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सिन्दूरः
Meanings: 2;
Dictionaries: 1;
Tags: সেন্দুৰ, सिन्दुर, সিঁদুর, સિંદૂર, सिंदूर, ಸಿಂಧೂರ, سِنٛدوٗر, पिंजर, സിന്ദൂരം, शेंदूर, ꯁꯤꯟꯗꯨꯔ, सिँदुर, ସିନ୍ଦୂର, సిందూరం, سندور সিঁদুরী, સિંદુરી, सिंदूरपुष्पी, ಸಿಂಧೂರಪುಷ್ಪ, سِنٛدوٗرپُشپی, ചെമ്പരത്തി പൂവ്, ସିନ୍ଦୂରବର୍ଣ୍ଣା, ਸਿੰਦੂਰਪੁਸ਼ਪੀ, குங்குமப்பூ, సింధూరవృక్షం, سندورپشپی, سندوری
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निन्दा
Meanings: 12;
Dictionaries: 5;
Tags: निन्दा खालामनाय, নিন্দা, નિંદા, निंदा, ನಿಂದನೆ, غٲبَت کَرٕن, بُرٲیۍ کَرٕن, നിന്ദിക്കുക, ନିନ୍ଦା, ਨਿੰਦਾ, निन्दा, నింద, برائی, مذمت, بدگوئی, تبصرہ, غیبت, الزام ভৎর্স্্না, ভতর্সনা, ઠપકો, भर्त्सना, ಬೈಗುಳ, پٲزارپٔٹۍ, निर्भत्सना, ꯆꯩ꯭ꯊꯥꯡꯕ, ਫਟਕਾਰ, నింద, ڈانٹ, پھٹکار, نکتہ چینی, دھتکار, لعنت, ملامت, بددعا निन्दा खालामनाय, নিন্দা, નિંદા, निंदा, ನಿಂದನೆ, غٲبَت کَرٕن, بُرٲیۍ کَرٕن, നിന്ദിക്കുക, निन्दा, ନିନ୍ଦା, ਨਿੰਦਾ, నింద, برائی, مذمت, بدگوئی, تبصرہ, غیبت, الزام
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अध्याय २२१ - अनुजीविवृत्तं
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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आर्या सप्तशती - ए-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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खण्डः ३ - अध्यायः २१७
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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दिधिषु
Meanings: 12;
Dictionaries: 4;
Tags: didhiṣuḥ, गदाय हाबा लाग्रा, দোজবর(পুং), દુહાજૂ, दुहाजू, ಪುನರ್ವಿವಾಹಿತ, وۄرُد , دٔیِم خانٛدَر کَرَن وول, दुसर्या लग्नाचें, രണ്ടാമതും വിവാഹം ചെയ്ത, ଦୋଅରବାହି, ਦਹੇਜੂ, இரண்டாவது திருமண, రెండవ, دوہاجو, دوہاجن
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तान्त्रिक
Meanings: 17;
Dictionaries: 4;
Tags: tāntrika, তান্ত্রিক, अजा, તાંત્રિક, तांत्रिक, तंत्रज्ञ, താന്ത്രീകന്, ꯇꯟꯇꯔ꯭꯭ꯍꯩꯕ꯭ꯃꯤ, ତାନ୍ତ୍ରିକ, ਤਾਂਤਰਿਕ, तन्त्रविद्, தந்திர சாஸ்திரம் அறிந்தவன், తాంత్రికుడు, تانترک, تنترعلم کا ماہر
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नवमोऽध्यायः - अष्टकवर्ग
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
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विष्णुपर्व - एकादशाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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प्रसन्न काण्ड: - सर्ग १०
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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मथुराखण्डः - अध्यायः २१
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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आर्या सप्तशती - य-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ७
विष्णुधर्माः
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उत्तरार्धम् - अध्यायः १२
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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वृन्दावनखण्डः - अध्यायः १६
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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अष्टमः स्कन्धः - अथ अष्टादशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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खण्डः १ - अध्यायः ०७४
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ८१
विष्णुधर्माः
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अध्याय ३ रा - श्लोक ५१ ते ५३
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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पातालखण्डः - अध्यायः ३८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अष्टमः स्कन्धः - अथ पंचमोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
Type: PAGE | Rank: 0.00916864 | Lang: NA
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पातालखण्डः - अध्यायः ३९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.00916864 | Lang: NA
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अष्टमोऽध्यायः - दशान्तर्दशा
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
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जातकपारिजात - सप्तमाष्टमनवमभावफलध्यायः
दैवज्ञश्रीवैद्यानाथरचित जातक पारिजात या संस्कृत ग्रंथात सूर्य फल, नवग्रह फल, योग पिहित, भाव विचार, विषाख्य कन्या, राज्ययोग, आयुर्बल, व्यत्ययविचार, अरिष्टादि योग आणि सर्व प्रकारचे अरिष्ट नाश होणारे उपाय वर्णन केले आहेत.
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अधिकार काण्ड: - सर्ग ७
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ७८
विष्णुधर्माः
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अध्याय २३ वा - श्लोक ४६ ते ५३
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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जातकपारिजात - स्त्रीजातकाध्यायः
दैवज्ञश्रीवैद्यानाथरचित जातक पारिजात या संस्कृत ग्रंथात सूर्य फल, नवग्रह फल, योग पिहित, भाव विचार, विषाख्य कन्या, राज्ययोग, आयुर्बल, व्यत्ययविचार, अरिष्टादि योग आणि सर्व प्रकारचे अरिष्ट नाश होणारे उपाय वर्णन केले आहेत.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - सप्तदशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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अनुषङ्गापादः - अध्यायः १४
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ८२
विष्णुधर्माः
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २२९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मध्यम भागः - अध्यायः १०
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ५७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.006418048 | Lang: NA
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विग्रहः - कथा ६
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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विग्रहः - कथा ७
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.006418048 | Lang: NA
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अधिकार काण्ड: - सर्ग ९
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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सूत्रस्थान - अध्याय ०७
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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प्रसन्न काण्ड: - सर्ग ११
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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परमेश्वरसंहिता - दशमोऽध्यायः
परमेश्वरसंहिता
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