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गोमुखः
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hailed
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descry
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halloo
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espy
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केली
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ken
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विग्रहः - कथा २
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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hail
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संधिः - कथा ६
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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सुहृद्-भेदः - कथा ५
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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श्रीशक्तिसङ्ग्मतन्त्रम् - त्रयःपञ्चाशतिः पटलः ।
तंत्र शास्त्र भारताची एक प्राचीन विद्या आहे. तंत्र ग्रंथ भगवान शिवाच्या मुखातून प्रकट झाले आहेत. त्यांना पवित्र आणि प्रामाणिक मानले आहेत. Tantra shastra is a secret and most powerful science of the Indian culture and religion. It is a most powerful science which Indian Rushis have practised for centuries and still it is in practise.
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आर्या सप्तशती - प-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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आर्या सप्तशती - द-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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शृङ्गारप्रवाहः - सुभाषित १०८१ - ११००
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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शृङ्गारप्रवाहः - सुभाषित ९०१ - ९२०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ६५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्रीपादुकासहस्रम् - रत्नसामान्यपद्धतिः
श्रीमद्वेदान्तदेशिक विरचितम्
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विंशतिकाण्ड: - २१ ते २५
पैप्पलादसंहिता
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विग्रहः - कथा ७
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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सुहृद्-भेदः - कथा २
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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आर्या सप्तशती - क-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ६३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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सुहृद्-भेदः - कथा ९
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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मित्र लाभः - कथा ५
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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सुभाषितरत्नकोशः - प्रावृड्व्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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मनोबोधः - श्लोक १५१ ते २०५
संत रामदास महाराजांची मनोबोध अशी रचना आहे, ज्यातून मनावर संस्कार घडविले जातात.
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विष्णुपर्व - अष्टाविंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १९१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३४६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १९७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३४२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४३८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ११६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५८४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ५७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १६३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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सुभाषितरत्नकोशः - मानिनीव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २०२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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सुभाषितरत्नकोशः - ततोऽनुरागव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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मित्र लाभः - कथा १
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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समय मातृका - अष्टमः समयः
क्षेमेंद्र के ग्रंथ समयमातृका का रचनाकाल १०५० ई है। यह एक हास्य प्रहसन का अत्युत्तम ग्रंथ है ।
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संधिः - कथा ११
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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मित्र लाभः - कथा ३
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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पाद ३ - खण्ड २८
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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सूत्रस्थान - भाग ४
चरक संहिता आयुर्वेदासंबंधी एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आहे. हा ग्रंथ संस्कृत भाषेत आहे. या ग्रंथाचे उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश आणि प्रतिसंस्कारक चरक हे होत. Charaka Sanhita is believed to be the oldest Ayurvedic text on internal medicine.
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अथर्ववेदः - काण्डं १२
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
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अथर्ववेदः - काण्डं ६
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
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